Monday, December 22, 2025

हरतालिका तीज 2025: व्रत, पूजा और दान से जुड़े खास नियम, जानें संपूर्ण विधि

हरतालिका तीज का व्रत इस वर्ष 26 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा। सुहागिन महिलाएं अलसुबह सरगी लेकर दिनभर का निर्जला व्रत प्रारंभ करेंगी। परंपरा के अनुसार सरगी ससुराल पक्ष से दी जाती है, जिसमें फल, मिठाई और श्रृंगार सामग्री शामिल होती है। महिलाएं पूरे दिन निराहार और निर्जल रहकर भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करती हैं। मान्यता है कि इस दिन का व्रत अखंड सौभाग्य, वैवाहिक सुख और संतान की दीर्घायु प्रदान करता है। व्रत का समापन पूजा अर्चना और कथा श्रवण के साथ होता है।

पूजा विधि और मुहूर्त का महत्व

तीज व्रत में शाम के समय माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर विधिवत पूजन किया जाता है। पूजा सामग्री में धूप, दीप, कपूर, फल, मिठाई, कलश, रोली, चावल और जल की विशेष भूमिका होती है। मिट्टी से बने भगवान शिव-पार्वती की प्रतिमा की पूजा का भी विशेष विधान है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर, मेंहदी रचाकर और गीत-संगीत गाकर त्योहार का उल्लास मनाती हैं। शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का श्रवण करने और मंत्रोच्चारण करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

दान का महत्व: अन्न, पूजन सामग्री और गौ सेवा

हरतालिका तीज पर दान का विशेष महत्व बताया गया है। अन्नदान को सबसे श्रेष्ठ दान माना गया है, जिसमें गेहूं, चावल, दाल और मिठाई का दान करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा, धूप, दीपक, नारियल, कलश और कपूर जैसी पूजन सामग्री का दान करने से भी पुण्य फल प्राप्त होता है। इस दिन गौ सेवा और गौ दान को भी श्रेष्ठ माना गया है, जो जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सौभाग्य और शांति प्रदान करता है।

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