Thursday, November 13, 2025

अखिलेश और मायावती की लड़ाई में कूडे केशव,कांग्रेस को भी लिया आड़े हाथ, कहा-‘ये तिकड़ी एक ही थाली के चट्टे- बट्टे हैं’

UP Politics: समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच जुबानी जंग देखने को मिल रही है। आज गुरुवार को बसपा के मायावती ने सपा को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए तंज कसा था। जिस पर सपा नेता आईपी सिंह ने प्रतिक्रिया दी थी। सपा और बसपा की लड़ाई में उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता केशव प्रसाद मौर्य कूद पड़े हैं। केशव प्रसाद मौर्य ने सपा और बसपा के साथ कांग्रेस को भी आड़े हाथ लिया है। सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों को गिरते हुए सियासी प्रतिक्रिया डिप्टी सीएम ने दी है।

केशव प्रसाद ने सपा और बसपा, कांग्रेस को लेकर दिया बड़ा बयान

केशव प्रसाद मौर्य ने सपा और बसपा सहित कांग्रेस को लेकर बड़ा बयान दिया है। केशव प्रसाद ने सोशल मीडिया पर लिखा,”सपा, बसपा और कांग्रेस की तिकड़ी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। पहला सांपनाथ, दूसरा नागनाथ और तीसरा कालियानाग है। तीनों का काला अतीत दंगा, भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और जातिवाद,परिवारवाद से अटा पड़ा है। इन्होंने दलितों, पिछड़ों और ग़रीबों का शोषण करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और इस हरकत में तीनों ने एक दूसरे को मात दी। यह कहने में रत्तीभर भी संकोच नहीं है कि ग़रीबों, पिछड़ों, दलितों और महिलाओं को यथोचित सम्मान यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन में मिला है। उनके नेतृत्व में भाजपा सरकार की नीतियों और डबल इंजन की सरकार के तहत हरेक तबके का समुचित विकास किया जा रहा है…।”

सपा पर मायावती ने बोला था हमला

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज सोशल मीडिया साइट पर लिखा था कि,”विदित है कि अन्य पार्टियों की तरह आएदिन सपा द्वारा भी पार्टी के ख़ासकर दलित लोगों को आगे करके तनाव व हिंसा का माहौल पैदा करने वाले आ रहे इनके अति विवादित बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप व कार्यक्रम आदि का जो दौर चल रहा है यह इनकी घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ही प्रतीत होती है। क्योंकि सपा भी दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर यहाँ किसी भी हद तक जा सकती है। अतः दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज आदि को भी इनके किसी भी उग्र बहकावे में नहीं आकर इन्हें इस पार्टी के भी राजनीतिक हथकण्डों का शिकार होने से ज़रूर बचना चाहिए। साथ ही, ऐसी पार्टियों से जुड़े अवसरवादी दलितों को दूसरों के इतिहास पर टीका-टिप्पणी करने की बजाय यदि वे अपने समाज के सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों की अच्छाईयों एवं उनके संघर्ष के बारे में बताएं तो यह उचित होगा, जिनके कारण ये लोग किसी लायक़ बने हैं।”

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