Thursday, November 20, 2025

हार की वजह सिर्फ जनता नहीं…बिहार चुनाव के नतीजे पर दीपांकर भट्टाचार्य का चौंकाने वाला बयान

बिहार चुनाव 2025 के नतीजे अब सामने हैं और एनडीए की प्रचंड जीत के बीच महागठबंधन की करारी हार ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। लेकिन इन नतीजों को लेकर अब एक बड़ा विवाद सामने आया है। भाकपा (माले) के नेता और सांसद दीपांकर भट्टाचार्य ने महागठबंधन की पराजय पर ऐसा बयान दिया है जिसने पूरे राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव नतीजे “सामान्य” नहीं हैं, बल्कि इनमें ‘SIR के दाग’ साफ दिखते हैं। उनका आरोप है कि बड़े पैमाने पर वोट कटवाने का खेल हुआ है, जिससे विपक्ष को भारी नुकसान झेलना पड़ा। दीपांकर का यह बयान विपक्षी खेमे में नई बहस को जन्म दे रहा है, खासकर तब जब कई सीटों पर बेहद कम अंतर से हार हुई है। उन्होंने सभी दलों से अपील की है कि वे इस चुनावी परिणाम की विस्तृत समीक्षा करें और यह समझने की कोशिश करें कि आखिर जमीन पर ऐसा क्या हुआ जिसने पूरे समीकरण को उलट दिया।

SIR पर गंभीर आरोप — ‘वोट कटने का पैटर्न स्पष्ट दिख रहा है’

दीपांकर भट्टाचार्य ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बिहार चुनाव के नतीजे महागठबंधन की हार से ज्यादा एक “सिस्टमेटिक पैटर्न” को दर्शाते हैं। उनके मुताबिक, बड़ी संख्या में हुई वोटिंग के बावजूद विपक्ष का वोट जिस तरह बंटा, उसने कई सीटों पर हार को सुनिश्चित कर दिया। उन्होंने दावा किया कि SIR (Special Influence Route) के जरिए वोटों को प्रभावित किया गया। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि इस बार चुनाव का खेल बूथ से लेकर अंतिम गणना तक कई परतों में चलता दिखाई दिया। उनका कहना है कि कई जगहों पर वोट प्रतिशत सामान्य था, लेकिन महागठबंधन के उम्मीदवारों के वोट असामान्य रूप से कम दिखे। इसे वह “यादृच्छिक नहीं बल्कि सुनियोजित परिणाम” बताते हैं। उनके अनुसार, यह पैटर्न सिर्फ कुछ सीटों पर नहीं, बल्कि कई जिलों तक फैला हुआ है। इस आरोप ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है क्योंकि विपक्ष पहले ही EVM, बूथ प्रबंधन और प्रशासनिक हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर सवाल उठाता रहा है।

महागठबंधन की अंदरूनी कमजोरी भी उजागर — ‘एकजुटता की कमी ने परिणाम बिगाड़े’

हालांकि दीपांकर ने SIR को लेकर गंभीर सवाल उठाए, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि महागठबंधन की अपनी कमजोरियां भी जीत की राह का बड़ा रोड़ा बनीं। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार चयन में कई गलतियाँ हुईं, कई सीटों पर स्थानीय समीकरणों को नजरअंदाज़ कर टिकट बांटे गए और कई जगह गठबंधन की रणनीति में समन्वय की भारी कमी देखी गई। उन्होंने बताया कि कई इलाकों में मतदाता उत्साहित थे, लेकिन महागठबंधन की कमजोर प्रबंधन व्यवस्था ने उस उत्साह को वोट में बदलने में विफलता दिखाई। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और जमीनी स्तर के नेताओं को चुनाव से पहले एकजुट करने में भारी चूक हुई। दीपांकर का मानना है कि महागठबंधन ने कई मुद्दों पर सही आवाज उठाई, लेकिन संगठित तरीके से चुनाव लड़ने में कमजोरी दिखाई दी, जिसका फायदा अन्य गठबंधनों को मिला। उनके इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक विपक्ष की “आत्मचिंतन की प्रक्रिया” की शुरुआत मान रहे हैं।

सभी दलों को समीक्षा की सलाह — ‘अगर कारण नहीं खोजे, तो अगला चुनाव भी हाथ से जाएगा’

दीपांकर भट्टाचार्य ने अपने बयान के अंत में सभी विपक्षी दलों को चेतावनी दी कि अगर इस हार की वास्तविक वजहों पर गंभीरता से समीक्षा नहीं की गई तो भविष्य में भी ऐसी ही स्थिति दोहराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि गठबंधन को चाहिए कि वह अपने संगठन, रणनीति, मतदाता संपर्क और उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया को पूरी तरह से नए सिरे से देखे। उन्होंने SIR के आरोपों की जांच की मांग दोहराते हुए कहा कि लोकतंत्र तब तक मजबूत नहीं हो सकता जब तक हर वोट की सुरक्षा सुनिश्चित न की जाए। उनका कहना है कि यह चुनाव सिर्फ परिणामों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह सवाल भी है कि क्या लोकतंत्र की प्रक्रिया सही ढंग से चल रही है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर महागठबंधन ने अपनी गलतियों से सबक नहीं लिया तो 2025 के नतीजे 2030 के चुनाव का संकेत भी हो सकते हैं। उनके इस बयान ने विपक्षी राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और बयानबाज़ी देखने को मिल सकती है।

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