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कुत्ते काटेंगे तो जाएंगे जेल! कानपुर में लागू हुआ सख्त कानून, एबीसी सेंटर में होगी उम्रभर कैद

कानपुर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों पर प्रशासन सख्त हो गया है। काटने वाले कुत्तों को चिन्हित कर एबीसी सेंटर भेजा जाएगा, जहां एक बार काटने पर 10 दिन और बार-बार काटने पर उम्रभर रखने का प्रावधान किया गया है।

कानपुर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों ने प्रशासन को आखिरकार बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। शहर में लगातार सामने आ रही कुत्तों के काटने की घटनाओं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर हमलों के बाद पशुपालन विभाग ने एक सख्त और स्पष्ट नीति लागू की है। इस योजना के तहत ऐसे कुत्तों को चिन्हित किया जा रहा है जो आम लोगों पर हमला करते हैं या पहले भी किसी को काट चुके हैं। इन कुत्तों को सीधे एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर भेजा जाएगा, जहां उनके व्यवहार के आधार पर उन्हें रखने की अवधि तय होगी। यह पहली बार है जब कानपुर में आवारा कुत्तों के लिए “सजा जैसी व्यवस्था” को लेकर स्पष्ट नियम बनाए गए हैं, जिससे आम जनता को राहत मिलने की उम्मीद है।

काटने की संख्या के हिसाब से तय होगी “सजा”, माइक्रोचिप से होगी पहचान

नई व्यवस्था के अनुसार अगर कोई आवारा कुत्ता पहली बार किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसे 10 दिनों के लिए एबीसी सेंटर में रखा जाएगा। इस दौरान उसकी निगरानी की जाएगी और यह देखा जाएगा कि वह दोबारा आक्रामक व्यवहार करता है या नहीं। वहीं, जो कुत्ते दो या उससे अधिक बार लोगों को काट चुके हैं, उन्हें एबीसी सेंटर में हमेशा के लिए रखा जा सकता है। ऐसे कुत्तों को दोबारा सड़क पर छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। प्रशासन अब माइक्रोचिप लगाने की भी तैयारी कर रहा है, ताकि हर चिन्हित कुत्ते का पूरा रिकॉर्ड रखा जा सके। इससे यह साफ पता चल सकेगा कि कौन-सा कुत्ता पहले भी हमलावर रहा है और उस पर क्या कार्रवाई हुई थी।

आवारा कुत्तों की नसबंदी से जनसंख्या नियंत्रण पर जोर

सिर्फ सजा ही नहीं, बल्कि समस्या की जड़ पर काम करने के लिए पशुपालन विभाग ने आवारा कुत्तों की नसबंदी को भी योजना का अहम हिस्सा बनाया है। नगर निगम की टीम लगातार शहर के अलग-अलग इलाकों में अभियान चला रही है, ताकि आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित किया जा सके। अधिकारियों का मानना है कि अनियंत्रित जनसंख्या ही आक्रामकता और झुंड में हमलों की बड़ी वजह है। एबीसी सेंटर में लाए गए कुत्तों की नसबंदी के साथ-साथ स्वास्थ्य जांच भी की जा रही है। इससे न सिर्फ रेबीज जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा कम होगा, बल्कि भविष्य में कुत्तों के हमलों की घटनाओं पर भी लगाम लगेगी।

बच्चों पर हमले बने चिंता का कारण, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत कार्रवाई

हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आवारा कुत्तों के हमलों ने लोगों को डरा दिया है। बच्चों पर हुए हमले खास चिंता का विषय बने हैं, जिनमें कई मासूम गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट पहले ही आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। कानपुर में बनाई गई यह योजना उन्हीं निर्देशों के तहत लागू की जा रही है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के मुताबिक अब तक 4 से 5 आक्रामक कुत्तों को एबीसी सेंटर भेजा जा चुका है और आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ सकती है। प्रशासन का दावा है कि इस सख्त कदम से शहर में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और आवारा कुत्तों को लेकर बना डर धीरे-धीरे कम होगा।

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