शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां पर की गई अभद्र टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह भारत की संस्कृति नहीं है कि किसी के माता-पिता को राजनीतिक बहस में घसीटा जाए। उनका कहना है कि जब बुद्धि दूषित हो जाती है, तभी ऐसे शब्द निकलते हैं। उन्होंने अपील की कि गोमाता का दूध पिएं ताकि सोच में शुद्धता आए और किसी की मां या बाप का अपमान न किया जाए।
राजनीति में मर्यादा की नसीहत
शंकराचार्य ने सख्त शब्दों में कहा कि राजनीतिक मतभेद आम बात है, लेकिन उसमें व्यक्तिगत आक्रमण की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “आपसी मतभेद हो सकते हैं, लेकिन किसी भी नेता की मां या बाप को बीच में लाना हमारी संस्कृति के विरुद्ध है। जननी और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी महान बताया गया है – यह भारत की आत्मा है।”
भारत की संस्कृति पर सवाल
शंकराचार्य ने कहा कि आज का युवा वर्ग और राजनीतिक कार्यकर्ता मर्यादा की सीमाएं लांघ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा में माताओं का सम्मान सर्वोपरि रहा है और इसे बिगाड़ने की कोशिश किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वालों को संयम और सम्मान का उदाहरण बनना चाहिए, न कि अपशब्दों का माध्यम।
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