जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) में रविवार रात जो कुछ हुआ, उसने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया। रात करीब 11:20 बजे अस्पताल के आईसीयू वार्ड में अचानक आग लग गई। शुरुआती जांच में इसे शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि ICU में भर्ती मरीजों को निकलने का मौका ही नहीं मिला। धुएं और आग की लपटों के बीच मरीजों और नर्सिंग स्टाफ की चीखें दूर तक सुनाई दीं। हादसे में कुल 8 मरीजों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं जिन्हें दूसरे वार्डों में शिफ्ट किया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग लगते ही अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। बिजली चली गई और बैकअप सिस्टम फेल हो गया, जिससे दमकल कर्मियों को अंदर पहुंचने में समय लगा। कई परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि फायर अलार्म और सेफ्टी मैकेनिज्म पूरी तरह फेल हो गए थे। ICU में ऑक्सीजन सिलेंडर भी थे, जिससे स्थिति और भयावह हो गई।
सीएम ने रद्द किया दिल्ली दौरा, जांच कमेटी से होगा सच का खुलासा?
इस दर्दनाक हादसे के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तुरंत अपनी दिल्ली यात्रा रद्द कर दी और सोमवार सुबह जयपुर पहुंचकर घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने का ऐलान किया है, जो इस मामले की तह तक जाएगी। कमेटी को 72 घंटे में शुरुआती रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “जिम्मेदार कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। मरीजों की जान की कीमत कोई मुआवजा नहीं चुका सकता, लेकिन दोषियों पर सख्त कार्रवाई जरूर होगी।”
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की है। इसके साथ ही SMS अस्पताल के ICU ब्लॉक को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, और अन्य वार्डों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा शुरू हो गई है। अग्निशमन विभाग और तकनीकी विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम यह जांच कर रही है कि आखिर ICU जैसे संवेदनशील वार्ड में आग कैसे लगी और सेफ्टी सिस्टम क्यों फेल हुआ
लापरवाही या साजिश?
अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह केवल एक ‘शॉर्ट सर्किट’ था, या इसके पीछे कोई गहरी लापरवाही या साजिश थी? जांच कमेटी को अस्पताल के CCTV फुटेज, वायरिंग सिस्टम और पिछले मेंटेनेंस रिकॉर्ड की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। इसके साथ ही अस्पताल प्रशासन और संबंधित इंजीनियरिंग विभाग के कॉल रिकॉर्ड्स भी खंगाले जा रहे हैं। कुछ सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में ICU के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में अनियमितताएं सामने आई थीं, जिन पर कार्रवाई नहीं हुई।
सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में फायर ड्रिल और सेफ्टी इंस्पेक्शन लंबे समय से नहीं हुआ था। इस बीच सोशल मीडिया पर कई सवाल उठ रहे हैं — अगर यह सिस्टम फेल्योर था, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? और अगर इसमें मानवीय चूक शामिल है, तो क्या वो नाम सामने आएंगे जिनकी लापरवाही ने 8 जिंदगियों को लील लिया?