क्यों भरी जाती है कावड़? जाने इससे जुड़े नियम

सावन मास के दौरान लाखों की संख्या में शिव भक्त भोले बाबा का जयकारा लगाते हुए धूमधाम के साथ कावड़ लेकर जाते हैं। कावड़ यात्रा 28 दिनों की होती है सावन के पहले दिन से लेकर सावन के अंतिम दिन तक यह यात्रा चलती रहती है।

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Sawan Kavad Niyam

Sawan Kavad Niyam: सावन का महीना शुरू हो चुका है सावन का महीना बहुत ही पवित्र पुनीत माना जाता है। सावन का महीना भोले बाबा कोसमर्पित है। महादेव को प्रसन्न करने के लिए सावन के महीने में माता पार्वती और भोले बाबा की पूजा की जाती है। सावन मास के दौरान लाखों की संख्या में शिव भक्त भोले बाबा का जयकारा लगाते हुए धूमधाम के साथ कावड़ लेकर जाते हैं। कावड़ यात्रा 28 दिनों की होती है सावन के पहले दिन से लेकर सावन के अंतिम दिन तक यह यात्रा चलती रहती है। तो आइए आगे आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर कावड़ क्यों भरी जाती है।

क्यों भरी जाती है कांवड़?

कावड़ यात्रा को लेकर कई तरह की अलग-अलग मान्यताएं हैं। पुराण के अनुसार कावड़ यात्रा की शुरुआत समुद्र मंथन से जुड़ी है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया था विश्व के ताप को कम करने के लिए शिव के अनन्य भक्त रावण ने गंगाजल से भरे कावड़ से उनका जलाभिषेक किया था। वही एक मान्यता यह भी है कि श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करते हुए उन्हें कावड़ में बैठकर हरिद्वार में गंगा स्नान कराया था।

जाने कावड़ भरने के सही नियम

-यात्रा के दौरान शराब ,मांस, भांग, का सेवन नहीं करना चाहिए। यात्रा के दौरान सात्विक रहना चाहिए।

-कावड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए इसे आप कहीं ऊंची जगह पर रख सकते हैं।

-जमीन पर विश्राम करना चाहिए बिस्तर पर यात्रा के दौरान विश्राम नहीं करना चाहिए। जब यात्रा कर रहे हो तो उसे दौरान सुख सुविधाओं का भोग नहीं करना चाहिए।

-अपने अंदर असुर प्रभाती नहीं लानी चाहिए क्योंकि इस दौरान आप भगवान शिव के भक्त होते हैं।

-यात्रा के दौरान बाल और नाखून भी काटना वर्जित माना गया है।

-सूर्योदय के 2 घंटे पहले और सूर्यास्त के 2 घंटे बाद तक ही यात्रा करनी चाहिए।

-यात्रा के दौरान साबुन ,तेल जैसी चीज नहीं लगानी चाहिए।

-यात्रा के दौरान कावड़ियों को व्रत रखना चाहिए।

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