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ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए श्री राम ने की थी इस जगह पर तपस्या, पूर्वजों का किया था पिंडदान

मगर उसमें ब्राह्मण ऋषियों ने दान लेने से मना कर दिया। सब कुछ बच्चों को भगवान राम ने दान दिया और सब तीर्थ पुरोहित बने और कहा गया कि आप बद्रिका वन में जाकर तपस्या करें जिससे आपको ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी।

Ram Mandir

Haridwar News: अयोध्या में 22 जनवरी को श्री राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। जिसको लेकर तमाम राजनेताओं से लेकर बॉलीवुड और टीवी के सितारों को भी न्योता भेजा गया है। राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरे देश में उत्साह देखने को मिल रहा है। आज हम उस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर श्री राम ने ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए तपस्या की थी और उसी जगह पर उन्होंने अपने पूर्वजों को पिंडदान दिया था। ज्योतिष आचार्य प्रतीक मिश्रा पुरी का कहना है कि रावण के वध के बाद सभी ब्रह्माण और ऋषि राम से नाराज हो गए थे क्योंकि रावण ब्राह्मण था ऋषियों के कहने के बाद भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया। मगर उसमें ब्राह्मण ऋषियों ने दान लेने से मना कर दिया। सब कुछ बच्चों को भगवान राम ने दान दिया और सब तीर्थ पुरोहित बने और कहा गया कि आप बद्रिका वन में जाकर तपस्या करें जिससे आपको ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी।

हरिद्वार में जाकर की थी तपस्या

राम ने ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाने के लिए धर्मनगर हरिद्वार मैं जा कर रामघाट पर तपस्या की थी। क्योंकि उनके द्वारा रावण का वध किया गया था और रावण एक ब्राह्मण था तो उनको ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। भगवान वशिष्ठ ने उनको कहा था कि अगर आप हरिद्वार जाकर तप करें और यहां पर निवास करें तो ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल जाएगी।

मुक्ति का द्वार कहा जाता है हरिद्वार

हरिद्वार में पापों से मुक्ति मिलती है इसीलिए उसे मुक्ति का द्वार कहा जाता है। अगर आप पाप से मुक्ति होने के लिए पूजा अर्चना करते हैं तो उसको ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है। हरिद्वार मुक्ति का द्वार है और यहां आने वाले श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पूण्य के भागी भी बनते हैं।

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