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शहडोल में बीएलओ की संदिग्ध मौत से उठे सवाल: परिवार ने ड्यूटी प्रेशर को बताया जिम्मेदार, प्रशासन ने किया इंकार

शहडोल में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के दौरान बीएलओ मनीराम नापित की अचानक मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजन ड्यूटी प्रेशर को मौत का कारण मान रहे हैं जबकि प्रशासन अपनी सफाई में इसे प्राकृतिक मौत बता रहा है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) कार्य में लगे 54 वर्षीय बीएलओ मनीराम नापित की अचानक मौत ने पूरे प्रशासनिक सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मनीराम सोहागपुर तहसील के प्राथमिक स्कूल मदरसा में शिक्षक के रूप में पदस्थ थे और इसी दौरान उन्हें कोतमा क्षेत्र के एक वार्ड में BLO ड्यूटी सौंपी गई थी। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी, लेकिन मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य की कड़ी समय-सीमा के कारण वे लगातार ड्यूटी पर जा रहे थे। परिजनों का दावा है कि लगातार दबाव और बार-बार आने वाले फोन कॉल की वजह से उनकी हालत बिगड़ती गई, जिसके बाद उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। इस घटना ने बीएलओ कर्मचारियों की कार्य परिस्थितियों और उन पर बढ़ते दबाव को लेकर सिस्टम की कार्यशैली पर कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

परिजनों का आरोप—“ड्यूटी प्रेशर ने ले ली जान”

मनीराम नापित के परिवार का कहना है कि वे पहले से बीमार थे और डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी थी। इसके बावजूद उन्हें लगातार ड्यूटी के लिए दबाव झेलना पड़ा। परिवार के अनुसार, घटना वाले दिन भी उन्हें ड्यूटी के संबंध में फोन आया था और उसी के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। परिजनों का कहना है कि अगर प्रशासन उनकी सेहत को ध्यान में रखकर उन्हें कुछ दिन की छुट्टी दे देता, तो शायद उनकी जान बच सकती थी। परिवार पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है। साथ ही वे यह भी कह रहे हैं कि क्षेत्र में SIR कार्य के दौरान बीएलओ पर अत्यधिक कार्यभार डाला जा रहा है जिससे कई कर्मचारी तनाव में हैं, लेकिन उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है।

प्रशासन ने दिए स्पष्टीकरण, ड्यूटी प्रेशर से इनकार

मामले पर जब प्रशासनिक अधिकारियों से पूछा गया, तो उन्होंने ड्यूटी प्रेशर की बात को सिरे से खारिज कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि मनीराम की मौत उनके घर पर तबीयत बिगड़ने के चलते हुई है और इसका सीधा संबंध ड्यूटी से नहीं जोड़ा जा सकता। प्रशासन का दावा है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में किसी भी कर्मचारी पर अतिरिक्त दबाव नहीं बनाया जा रहा है और सभी के लिए कार्यभार निर्धारित नियमों के तहत वितरित किया गया है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि परिवार की भावनाओं को समझा जा सकता है, लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले चिकित्सकीय रिपोर्ट और परिस्थितियों के आधार पर ही निर्णय लेना उचित होगा। हालांकि, प्रशासन का यह बयान स्थानीय लोगों और कर्मचारियों के बीच कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है।

बीएलओ कर्मचारियों की कार्यप्रणाली और सुरक्षा पर फिर उठा प्रश्न

इस घटना के बाद शहडोल और आसपास के क्षेत्रों में काम कर रहे बीएलओ कर्मचारियों के बीच रोष देखने को मिल रहा है। कई कर्मचारी दावा कर रहे हैं कि मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में अक्सर समय सीमा कम होती है, लेकिन कार्यभार अत्यधिक बढ़ा दिया जाता है। बीएलओ को घर-घर जाकर सत्यापन करना होता है, जिसके लिए उन्हें लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। कई कर्मचारी कहते हैं कि इस तरह की फील्ड ड्यूटी में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम हमेशा बना रहता है, लेकिन प्रशासन अक्सर ऐसी स्थितियों को नजरअंदाज कर देता है।
मनीराम नापित की मौत ने फिर एक बार इस बात को सामने ला दिया है कि फील्ड पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा, उचित कार्य समय और मानसिक दबाव से राहत जैसी व्यवस्थाओं पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। स्थानीय कर्मचारियों ने मांग उठाई है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और भविष्य में ऐसे हालात दोबारा न बनें इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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