कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने एक बार फिर से बड़ा बदलाव किया है। इस बार मुगल शासकों को लेकर किताब की भाषा में तीव्र परिवर्तन किया गया है। बाबर को अब “क्रूर विजेता” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जबकि अकबर को “धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण” बताया गया है। वहीं औरंगजेब के संदर्भ में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि उसने मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट किया।
बदलाव ने छेड़ी नई बहस, इतिहास की व्याख्या पर उठे सवाल
इन बदलावों ने इतिहास को पढ़ाने के तरीके में एक बार फिर बहस छेड़ दी है। जहां कुछ शिक्षाविद इसे ‘सच्चाई के करीब’ लाने की कवायद बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इस बदलाव को ‘आधुनिक राजनीतिक प्रभाव’ का नतीजा मान रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से NCERT की किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर कई बार संशोधन और पुनर्लेखन होते रहे हैं, खासतौर पर मुगल काल और मध्यकालीन भारत के इतिहास को लेकर।
बदलाव पर NCERT की चुप्पी, शिक्षाविदों और राजनेताओं की नजर
NCERT ने अभी तक इस बदलाव पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन किताब के संशोधित संस्करण के बाजार में आते ही यह मुद्दा राजनीतिक और शैक्षणिक हलकों में गर्मा गया है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि किसी भी ऐतिहासिक पात्र को एक आयामी रूप में पेश करना खतरनाक हो सकता है, जबकि अन्य इसे इतिहास के प्रति नई पीढ़ी को “ईमानदारी से रूबरू कराने” की कोशिश मानते हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में NCERT इस विषय पर क्या स्पष्टीकरण देती है।
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