कानपुर पुलिस ने उस महिला को कस्टडी में ले लिया है, जिसकी गतिविधियों ने पूरे शहर ही नहीं बल्कि पुलिस सिस्टम तक को हिला दिया था। 30 वर्षीय दिव्यांशी चौधरी, जिसे लोग अब “शैडो ब्राइड” के नाम से पुकार रहे हैं, पर आरोप है कि उसने शादी और प्रेमजाल को हथियार बनाकर अधिकारियों, बैंककर्मियों और कई अन्य लोगों से करोड़ों रुपये ऐंठे। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि उसके 10 बैंक खातों में 8 करोड़ से अधिक रकम का लेन-देन हुआ है, जिसकी अब विस्तृत जांच की जा रही है। दिव्यांशी की गिरफ्तारी ने उन चेहरों को भी बेनकाब करना शुरू कर दिया है, जो पर्दे के पीछे इस पूरे रैकेट में शामिल थे।
शादी का झांसा, फर्जी केस और फिर मोटा समझौता
दिव्यांशी का ठगी मॉडल बेहद सोच-समझकर बनाया गया था। वह पहले संभावित ‘शिकार’ से संपर्क बढ़ाती, फिर धीरे-धीरे शादी या प्रेम संबंध की ओर रिश्ता ले जाती। भावनाओं के जाल में फंसने के बाद शुरू होता था असली खेल—झूठे आरोपों की बौछार। कभी छेड़खानी, कभी रेप, तो कभी मानसिक प्रताड़ना का केस दर्ज कराया जाता था। ज्यादातर मामलों में वह कोर्ट में जाकर अचानक बयान बदल देती और समझौते का रास्ता खोलती, लेकिन इससे पहले तक पीड़ित उससे भारी भरकम रकम चुका चुका होता था। कई पीड़ितों को तो इतनी मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ा कि एक सब-इंस्पेक्टर ने दो बार आत्महत्या का प्रयास तक किया। उसकी कहानी हर बार बदल जाती थी, लेकिन हर बार वह खुद को पीड़ित दिखाने में कामयाब हो जाती थी।
बैंक खातों में करोड़ों की एंट्री
जांच की सबसे चौंकाने वाली कड़ी तब सामने आई जब पुलिस ने पता लगाया कि दिव्यांशी के खातों से मेरठ जोन में तैनात कई पुलिसकर्मियों—सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर और यहां तक कि सीओ स्तर तक—के खातों में संदिग्ध लेन-देन हुए हैं। इससे शक पुख्ता हो रहा है कि यह सिर्फ एक महिला का खेल नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह था, जहां कुछ वर्दीधारी भी शामिल थे। दिव्यांशी के पति आदित्य द्वारा दिए गए सैकड़ों सबूतों ने इस समानांतर नेटवर्क की परतें खोलनी शुरू कर दी हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, कई नाम सामने आ चुके हैं और कानपुर पुलिस जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़े खुलासे कर सकती है। यह मामला आगे चलकर प्रदेश स्तर पर बड़ा घोटाला साबित हो सकता है क्योंकि अभी कई खातों और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच बाकी है।
