Allahabad High Court: बरेली के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज रवि कुमार दिवाकर इन दिनों काफी चर्चा में बने हुए हैं। रवि कुमार दिवाकर ने 2010 के बरेली दंगों के मामले में संबंधित एक आदेश में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी जो हाई कोर्ट को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बरेली के जज रवि कुमार दिवाकर द्वारा दी गई टिप्पणी को हटा दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल जज बेंच ने टिप्पणी को अनुचित कर दिया और कहा कि उन में राजनीतिक निहितार्थ और व्यक्तिगत विचार शामिल थे।
दिवाकर ने दी थी यह टिप्पणी
5 मार्च को सुनवाई के दौरान दिवाकर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कहा था,’सत्ता का मुखिया एक धार्मिक व्यक्ति होना चाहिए। क्योंकि धार्मिक व्यक्ति का जीवन भोग का नहीं बल्कि त्याग और समर्पण का होता है। इसका एक उदाहरण महान सिद्ध पीठ गोरख मंदिर के पीठाधीश्वर महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी हैं। जो उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने उपरोक्त अवधारणा को सच साबित कर दिया। यदि कोई धार्मिक व्यक्ति सत्ता के आसन पर बैठता है तो यह बहुत अच्छे परिणाम देता है। जैसा कि दार्शनिक प्लेटो ने अपनी पुस्तक में ‘दार्शनिक राजा’ की अवधारणा में प्रतिपादित किया है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में तब तक दुख समाप्त नहीं होंगे जब तक कोई वहां दार्शनिक राजा ना हो।’
इलाहाबाद कोर्ट ने हटाई टिप्पणी
इलाहाबाद कोर्ट ने टिप्पणी हटाते हुए कहा कि,’न्याय का आदेश सार्वजनिक उपभोग के लिए और इस प्रकार के आदेश को जनता द्वारा गलत समझा जा सकता है। न्यायिक अधिकारी से यह अपेक्षा की जाती है कि उन्हें अपने मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते समय बहुत ही संयमित अभिव्यक्ति का उपयोग करना चाहिए और किसी भी ऐसी बात का जिक्र नहीं करना चाहिए जो मूल मुद्दे से अलग हो।’
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