जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है, तो हमारा ध्यान सबसे पहले इंसानों की ओर जाता है, लेकिन हालिया वैज्ञानिक रिसर्च में ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो चौंकाने वाले हैं। कई जानवरों में भी इंसानों की तरह भावनाएं, तनाव, अकेलापन और अवसाद देखने को मिलते हैं। ऐसे में कुछ जानवर ऐसा व्यवहार करने लगते हैं जो आत्महत्या जैसा प्रतीत होता है। शोधों के मुताबिक, कुत्ते, डॉल्फिन, व्हेल, चूहे, सूअर, काली बिल्लियां और कुछ खास मछलियों में आत्मघाती प्रवृत्तियां देखी गई हैं।
इन जानवरों में देखी गई आत्मघाती प्रवृत्तियां
उदाहरण के तौर पर डॉल्फिन्स को जब अत्यधिक तनाव या अकेलापन घेर लेता है, तो वे खुद को सांस लेना बंद कर देती हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। इसी तरह, कई कुत्तों ने मालिक की मौत के बाद खाना-पीना छोड़ दिया और धीरे-धीरे मर गए। व्हेल्स को कई बार जानबूझकर तट पर आते हुए देखा गया है, जिससे वे खुद को मौत के हवाले कर देती हैं। वैज्ञानिक इसे ‘सुसाइडल बिहेवियर’ मानते हैं। इन घटनाओं ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जानवर भी इंसानों की तरह गहरे भावनात्मक स्तर पर जीते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ इंसानों की नहीं, जानवरों की भी जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे इंसानों को प्यार, देखभाल और मानसिक संबल की जरूरत होती है, वैसे ही जानवरों को भी इमोशनल सपोर्ट चाहिए। पालतू जानवरों को लंबे समय तक अकेला छोड़ना या अनदेखा करना उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। कई बार चूहे और सूअर जैसे जानवर भी अत्यधिक शारीरिक या मानसिक पीड़ा के कारण खुद को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि जानवरों के व्यवहार में बदलाव को गंभीरता से लिया जाए और उन्हें भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं में महत्व दिया जाए।
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