इथियोपिया के एक दूरस्थ इलाके में स्थित ज्वालामुखी के अचानक फटने से वातावरण में घना धुआँ और राख भर गई। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि उसका गुबार लगभग 8 किलोमीटर तक आकाश में उठ गया। ज्वालामुखी की राख तेजी से हवा में फैलने लगी और वैज्ञानिकों ने बताया कि इसकी गति करीब 150 किलोमीटर प्रति घंटा तक दर्ज की गई।
इस घटना ने न सिर्फ अफ्रीकी महाद्वीप में चिंता बढ़ाई बल्कि इसका असर दुनिया के कई हिस्सों पर पड़ने की आशंका जताई जाने लगी। विशेषज्ञों की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया कि अगर हवा की दिशा उत्तरी भारत की ओर हुई, तो इसका असर वायु गुणवत्ता पर भारी पड़ सकता था।
भारत के लिए खतरे की चेतावनी
जैसे ही उपग्रहों ने राख के फैलाव का रूट दिखाया, भारत में पर्यावरण और आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ सचेत हो गईं। कई विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि इस राख बादल के भारत की ओर बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में तेज बढ़ोतरी हो सकती है।
चूंकि यह क्षेत्र पहले ही खराब वायु गुणवत्ता से जूझता रहता है, इसलिए इस ज्वालामुखी का प्रभाव यहाँ गंभीर समस्या खड़ी कर सकता था। लोगों में बेचैनी बढ़ी और कई शहरों में वायु प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने सावधानी बरतने की अपील भी की। स्कूलों और कार्यालयों के लिए भी सलाह जारी की गई थी कि हवा की दिशा पर लगातार नज़र रखी जाए।
हवा की दिशा बदली, राख भारत से मुड़ी—राहत की खबर
हालांकि शुरुआत में खतरा बड़ा दिख रहा था, लेकिन कुछ ही घंटों में प्रकृति ने राहत दे दी। उच्च वायुमंडल में चल रही पश्चिमी हवाओं ने राख के गुबार की दिशा मोड़ दी। वह बादल भारत के ऊपर नहीं आया, बल्कि पूर्व की ओर खिसकता हुआ चीन की दिशा में बढ़ गया।
इससे भारत के लिए संभावित खतरा टल गया। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के अन्य इलाकों में जो गंभीर प्रदूषण बढ़ने की चिंता थी, वह भी खत्म हो गई। मौसम विभाग और पर्यावरण एजेंसियों ने इस बदलाव को “महत्वपूर्ण प्राकृतिक सहायता” बताया, जिसने भारत को एक बड़े पर्यावरणीय संकट से बचा लिया।
आगे भी सतर्कता जरूरी, वैज्ञानिक कर रहे निगरानी
राहत जरूर मिली है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्वालामुखी अभी शांत नहीं हुआ है और इसकी गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विस्फोट कई दिनों तक जारी रह सकते हैं और राख बादल हवा की दिशा के अनुसार कभी भी अपना रास्ता बदल सकता है।
भारत की वायु गुणवत्ता एजेंसियाँ आने वाले दिनों में आसमान में होने वाली हलचल पर नज़र रखेंगी। विमानन क्षेत्र को भी सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि किसी भी ज्वालामुखीय राख का प्रभाव उड़ानों पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। अभी के लिए भारत को मिली यह राहत निस्संदेह बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन विशेषज्ञों की सलाह है कि आने वाले समय में सतर्कता जारी रहनी चाहिए ताकि किसी भी बदलाव का तुरंत सामना किया जा सके।
