भारतीय विज्ञापन उद्योग को एक ऐसा झटका लगा है जिसने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। ओगिल्वी इंडिया में चार दशकों से सक्रिय, और “मिले सुर मेरा तुम्हारा” से लेकर “अब की बार, मोदी सरकार” जैसे ऐतिहासिक अभियान का हिस्सा रहे पीयूष पांडे अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके निधन की खबर जैसे अचानक आई और जैसे ही इसे सुहेल सेठ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया, उद्योग और आम जनता दोनों ही गहरे शोक में डूब गए। उन्होंने लिखा कि पीयूष पांडे न केवल विज्ञापन की दुनिया में बल्कि देशभक्ति और सामाजिक संवेदनाओं के मामले में भी एक मिसाल थे।
चार दशक का अविश्वसनीय करियर
पीयूष पांडे ने अपने करियर की शुरुआत 1982 में की थी। क्रिकेट, चाय की चुस्की और निर्माण मजदूरी जैसे अनुभवों के बाद, उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा और उसे हमेशा के लिए बदल दिया। एशियन पेंट्स, कैडबरी, फेविकोल और हच जैसे कई प्रतिष्ठित ब्रांडों के लिए उनके विज्ञापन आज भी लोगों के जहन में बसी हैं। उनके द्वारा रचे गए संदेश न केवल ब्रांड को लोकप्रिय बनाते थे बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा भी दिखाते थे। उनके अभियान हमेशा क्रिएटिविटी और संवेदनशीलता का अद्भुत मिश्रण होते थे।
दोस्ती, देशभक्ति और यादें जो हमेशा जीवित रहेंगी
व्यक्तिगत रूप से भी पीयूष पांडे को दोस्त और सहयोगी दोनों ही रूपों में बेहद पसंद किया जाता था। सुहेल सेठ ने अपने संदेश में उन्हें “बेहतरीन सज्जन और सच्चे देशभक्त” के रूप में याद किया। विज्ञापन जगत में उनकी कमी महसूस होना स्वाभाविक है, क्योंकि उन्होंने केवल उत्पादों का प्रचार नहीं किया, बल्कि लोगों के दिलों में भावनाओं और जुड़ाव को जगाया। उनके बनाए गए अभियान आज भी प्रेरणा और रचनात्मकता का उदाहरण हैं। उद्योग और देश दोनों को उनके योगदान का एहसास हमेशा रहेगा।