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J&K में बड़ा आतंकी खुलासा: 7 व्हाइट-कॉलर आतंकी गिरफ्तार, AGUH और जैश-ए-मोहम्मद से था सीधा नेटवर्क, 2900 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकी नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई की है। 7 व्हाइट-कॉलर आतंकियों को गिरफ्तार कर 2900 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त की गई।

Jammu Kashmir Police

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंकवाद के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस ने Jammu Kashmir Terror Racket का पर्दाफाश करते हुए 7 ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनका सीधा संबंध AGUH (अंसार गजवा-उल-हिंद) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों से बताया जा रहा है। इन लोगों को “व्हाइट-कॉलर आतंकी” कहा जा रहा है, क्योंकि ये किसी सामान्य नागरिक की तरह समाज में रहते हुए आतंकी गतिविधियों को आर्थिक और तकनीकी समर्थन दे रहे थे।

2900 किलो विस्फोटक सामग्री जब्त, बड़ा नेटवर्क बेनकाब

जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने जानकारी दी कि छापेमारी के दौरान 2900 किलो IED बनाने की सामग्री जब्त की गई है। इसमें विस्फोटक पाउडर, रासायनिक पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, मेटल शीट, और कई संवेदनशील रिएक्टेंट शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि इन सामग्रियों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर धमाके की योजना के तहत किया जाना था।

सूत्रों के अनुसार, यह नेटवर्क राज्य के कई जिलों में फैला हुआ था और सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान से संचालित किया जा रहा था।

तकनीकी और वित्तीय मदद देने वाले “व्हाइट-कॉलर” आतंकी

जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपी शिक्षित और उच्च पदों पर कार्यरत थे। इनमें एक इंजीनियर, एक कॉलेज प्रोफेसर और एक स्थानीय व्यापारी भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि ये लोग सीधे फंडिंग, एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स और डिजिटल चैनलों के माध्यम से Jammu Kashmir Terror Racket को सहायता दे रहे थे।

डीजीपी आरआर स्वैन ने कहा, “ये आतंकी बंदूक नहीं चलाते, लेकिन बंदूकों को चलाने के लिए पैसा, योजना और तकनीकी समर्थन इन्हीं से आता है।”

AGUH और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा पूरा नेटवर्क

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आतंकियों की बातचीत और दस्तावेजों में AGUH (अंसार गजवा-उल-हिंद) और जैश-ए-मोहम्मद के कई संदिग्ध नाम सामने आए हैं। ये संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए स्थानीय स्तर पर “स्लीपर सेल” तैयार कर रहे थे। इन व्हाइट-कॉलर आतंकियों का काम स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर ले जाना और वित्तीय सहायता मुहैया कराना था।
एनआईए और सेना की इंटेलिजेंस यूनिट अब इस पूरे नेटवर्क की तहकीकात में जुट गई है।

सोशल मीडिया और साइबर चैनल से हो रही थी आतंकी भर्ती

जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि आतंकियों ने युवाओं तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया। इंस्टाग्राम और टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से उन्हें जिहादी कंटेंट और वीडियो भेजे जा रहे थे। इन प्लेटफॉर्म्स से फंडिंग और भर्ती दोनों की प्रक्रिया चलाई जा रही थी।

पुलिस ने बताया कि इस Jammu Kashmir Terror Racket में कई विदेशी हैंडलर शामिल हैं, जो दुबई और पाकिस्तान से ऑपरेशन चला रहे थे। फिलहाल 12 अन्य संदिग्धों पर निगरानी रखी जा रही है।

सुरक्षा एजेंसियों ने कहा—अब युद्ध साइबर और साइलेंट फंडिंग का

सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि आतंक का नया चेहरा अब बम या बंदूक से नहीं, बल्कि डेटा और डिजिटल पैसे से सामने आ रहा है। अधिकारी ने कहा, “व्हाइट-कॉलर आतंकी” सबसे खतरनाक होते हैं क्योंकि वे समाज में सम्मानित दिखते हैं, लेकिन भीतर से आतंकी संगठनों की रीढ़ बने होते हैं।”

इस कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने साइबर जांच को और मजबूत करने की घोषणा की है, ताकि डिजिटल माध्यमों से फैल रहे आतंकी प्रभाव पर रोक लगाई जा सके।

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