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“कानून या क्रूरता?” सड़क किनारे सब्जी बेच रही महिला पर चला बुलडोजर, वीडियो देख देशभर में फैला गुस्सा

हरियाणा के बहादुरगढ़ में सड़क किनारे सब्जी बेच रही महिला की दुकान पर चला बुलडोजर। वीडियो वायरल होते ही लोगों का गुस्सा फूटा — क्या यह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई थी या गरीबों पर अन्याय? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

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हरियाणा के बहादुरगढ़ शहर से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है। वीडियो में एक गरीब महिला और कुछ छोटे सब्जी विक्रेता सड़क किनारे अपनी रोज़ी-रोटी चला रहे थे। तभी वहां प्रशासनिक टीम और पुलिस अधिकारी पहुंचे और कुछ ही मिनटों में बुलडोजर चलवाने का आदेश दे दिया। देखते ही देखते सब्जी की टोकरियाँ, ठेले और दुकानें मलबे में तब्दील हो गईं।
लोगों का कहना है कि कार्रवाई इतनी अचानक और कठोर थी कि किसी को अपने सामान तक हटाने का मौका नहीं मिला। आसपास के लोगों ने यह नज़ारा कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर दिया। कुछ ही घंटों में यह वीडियो वायरल हो गया, और “सब्जी नहीं, उम्मीदें रौंद गया बुलडोजर” जैसा नारा सोशल मीडिया पर छा गया।

सरकारी कार्रवाई या बेरहमी? प्रशासन पर उठे सवाल

दावा किया जा रहा है कि प्रशासन ने सड़क किनारे अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के तहत यह कदम उठाया। लेकिन लोगों का कहना है कि इन विक्रेताओं के पास दूसरा विकल्प ही नहीं था — यही उनकी जीविका का एकमात्र साधन था। गुस्साए लोगों ने सवाल उठाया कि क्या गरीबों की दुकानें गिराना ही विकास का रास्ता है?
कई स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह जगह पिछले कई वर्षों से अस्थायी बाज़ार के रूप में जानी जाती थी, जहाँ रोज़मर्रा की ज़रूरतों के सामान मिलते थे। नगर निगम की टीम बिना कोई पूर्व सूचना दिए पहुंची और बुलडोजर चलवा दिया। इस दौरान कुछ महिलाएँ अपने ठेलों को बचाने की कोशिश करती दिखीं, लेकिन किसी की सुनवाई नहीं हुई।

इस घटना के बाद इलाके में तनावपूर्ण माहौल है। कुछ सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने प्रशासन से इस कार्रवाई की जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर अवैध अतिक्रमण हटाना ही था, तो गरीब विक्रेताओं के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी।

वायरल वीडियो बना बहस का मुद्दा — सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर

वीडियो वायरल होते ही ट्विटर (X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई यूज़र्स ने लिखा कि “बुलडोजर से डर नहीं, पर न्याय चाहिए।” कुछ ने इसे प्रशासन की क्रूरता बताया, तो कुछ ने कहा कि यह अतिक्रमण हटाने की वैध कार्रवाई थी लेकिन तरीका गलत था।
सोशल मीडिया पर यह मुद्दा अब ‘गरीब बनाम सिस्टम’ की बहस में बदल चुका है। कई नामचीन एक्टिविस्ट्स और पत्रकारों ने भी इसे लेकर नाराज़गी जताई। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने बयान दिया कि “यह अभियान शहर को जाम और अव्यवस्था से मुक्त करने के लिए था, लेकिन अगर किसी के साथ अनुचित व्यवहार हुआ है, तो जांच की जाएगी।”

घटना के बाद शहर के कई अन्य रेहड़ी-पटरी वाले लोगों में डर का माहौल है। उनका कहना है कि अगर रोज़गार के ये छोटे ठिकाने भी उजाड़ दिए जाएंगे, तो पेट पालना मुश्किल हो जाएगा।
स्थानीय लोग अब मांग कर रहे हैं कि सरकार ऐसे विक्रेताओं के लिए एक नियोजित ‘सब्जी ज़ोन’ या ‘हॉकर्स मार्केट’ की व्यवस्था करे, ताकि न तो यातायात प्रभावित हो और न ही गरीबों की रोज़ी-रोटी पर संकट आए।

प्रशासन की सफाई और आगे की कार्रवाई

बहादुरगढ़ पुलिस और प्रशासन ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा है कि यह अभियान पहले से तय योजना का हिस्सा था। अधिकारियों का कहना है कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद सड़क किनारे दुकानें लगाई जा रही थीं। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि वीडियो में दिखे दृश्य “अनावश्यक कठोर” प्रतीत होते हैं और मामले की समीक्षा की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अब जिला प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। एसीपी को भी इस पर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। सरकार का रुख यह है कि “कानून व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है, लेकिन मानवीय संवेदना उससे बड़ी नहीं हो सकती।”

जनता अब प्रशासन से यह जानना चाहती है कि क्या इस तरह की कार्रवाई के लिए कोई ठोस नीति है, या फिर यह सिर्फ एक ‘तुरंत दिखावा’ था।
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि देश की सड़कों पर बैठे छोटे विक्रेता — जो हर सुबह उम्मीद लेकर अपने ठेले निकालते हैं — क्या उनका कोई अधिकार नहीं? क्या उनकी मेहनत को भी बुलडोजर से कुचला जा सकता है?

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