महाराष्ट्र के वसई किले में छत्रपति शिवाजी महाराज का रूप धारण कर पहुंचे एक व्यक्ति और सिक्योरिटी गार्ड के बीच हुई बहस अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में देखा जा सकता है कि शिवाजी का वेश धारण किए व्यक्ति ने गार्ड से सवाल किया — “महाराष्ट्र में रहकर मराठी नहीं आती?” बस, इसी एक सवाल ने सोशल मीडिया पर मराठी बनाम हिंदी की पुरानी बहस को फिर से जिंदा कर दिया.
बताया जा रहा है कि वीडियो तब रिकॉर्ड हुआ जब एक लोकल इवेंट के दौरान शख्स छत्रपति शिवाजी महाराज का रूप लेकर किले के अंदर घूम रहा था. वहां तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने शूटिंग रोकने की कोशिश की, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ.
“तुम्हें याद रहेगा ये वीडियो…” — धमकी ने बढ़ाया विवाद
वीडियो में आगे दिखता है कि शिवाजी वेश में आया व्यक्ति न केवल गार्ड से नाराज़ हुआ, बल्कि उसे धमकी भरे लहजे में कहता है — “अब तुम्हें याद रहेगा, इस वीडियो के बाद तुम फेमस हो जाओगे, नौकरी भी जाएगी.” इस बयान के बाद मामला और गरमाता चला गया.
गार्ड ने सफाई देते हुए कहा कि वह मराठी नहीं जानता, लेकिन सीखने की कोशिश कर रहा है. उसके जवाब पर व्यक्ति ने और गुस्से में कहा — “छत्रपति शिवाजी की धरती पर काम कर रहे हो और मराठी नहीं आती? यह विरासत का अपमान है!”
इस पूरी बहस का वीडियो अब इंटरनेट पर लाखों बार देखा जा चुका है. कई लोग इसे सांस्कृतिक असहिष्णुता का उदाहरण बता रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि मराठी भाषा का सम्मान हर किसी को करना चाहिए.
सोशल मीडिया पर मचा बवाल – दो गुटों में बंटा देश
जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, ट्विटर (अब X) और इंस्टाग्राम पर यूजर्स दो गुटों में बंट गए. एक ओर जहां कई लोगों ने शिवाजी के वेश वाले व्यक्ति का समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में यूजर्स ने उनकी भाषा और व्यवहार की आलोचना की.
एक यूजर ने लिखा, “शिवाजी महाराज का रूप धारण करना सिर्फ पोशाक पहनना नहीं है, उनकी सोच और विनम्रता भी अपनानी पड़ती है.” वहीं दूसरे ने लिखा, “अगर मराठी नहीं आती तो सीखो, क्योंकि यह महाराष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा मामला है.”
कुछ लोगों ने इस घटना को रोजगार व्यवस्था से जोड़ा. एक कमेंट में लिखा गया — “अगर एजेंसी को सिर्फ मराठी गार्ड चाहिए तो वही नियुक्त करें, लेकिन एक मजदूर पर मराठी सीखने का दबाव डालना गलत है.”
राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू
मामले के तूल पकड़ने के बाद अब राजनीति भी इसमें कूद पड़ी है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कहा कि “मराठी भाषा का सम्मान हर किसी को करना चाहिए, चाहे वह किसी भी राज्य से आता हो.” वहीं, कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने इस घटना को अनावश्यक विवाद बताया और कहा कि “शिवाजी महाराज की विचारधारा सभी को सम्मान देना सिखाती है, धमकाना नहीं.”
राज्य के गृह विभाग ने भी इस मामले की रिपोर्ट मांगी है. हालांकि पुलिस ने अब तक किसी पर मामला दर्ज नहीं किया है, लेकिन सोशल मीडिया के दबाव को देखते हुए जांच शुरू की जा सकती है.
‘मराठी बनाम हिंदी’ का नया अध्याय
भाषा को लेकर यह बहस कोई पहली बार नहीं भड़की है. महाराष्ट्र में पहले भी मराठी बनाम हिंदी विवाद कई बार सामने आ चुका है. लेकिन इस बार मामला इसलिए संवेदनशील है क्योंकि इसमें शिवाजी महाराज की विरासत और प्रतीकात्मकता जुड़ी है.
सांस्कृतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में विभाजन की भावना को बढ़ाती हैं. वे कहते हैं कि “भाषा पहचान का प्रतीक है, लेकिन उसे किसी के खिलाफ हथियार बनाना गलत है.”
जनता की राय – सम्मान जरूरी, मजबूरी नहीं
वायरल वीडियो के नीचे हजारों कमेंट्स हैं. अधिकतर लोगों का कहना है कि “मराठी भाषा का सम्मान जरूरी है, लेकिन किसी को मजबूर करना या धमकाना गलत है.” कई यूजर्स ने यह भी लिखा कि शिवाजी महाराज ने हमेशा गरीबों और श्रमिकों का सम्मान किया था, ऐसे में इस तरह का व्यवहार उनके आदर्शों के खिलाफ है.
घटना के बाद वसई किले की सिक्योरिटी एजेंसी ने कहा है कि गार्ड को किसी तरह की कार्रवाई से फिलहाल राहत दी गई है, और पूरी घटना की जांच की जा रही है.
