सनातन धर्म में पुरखों को याद करने के लिए पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2023) का बहुत ही महत्व है। पितृपक्ष से सिर्फ यह आशय पितरों से नहीं, बल्कि इसमें माता का भी श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृपक्ष में कुछ तिथियां अपने विशेष जातकों के लिए निश्चित हैं। इन्हीं तिथियों में नवमी को श्राद्ध को मातृ नवमी कहते हैं। नवमी के दिन जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई हो दिवंगत माताओं के नाम से पिंडदान किया जाता है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न व संतुष्ट होती है। इसे नौमी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू वर्ष के कैलेंडर और पंचांग के मुताबिक, इस बार मातृ नवमी अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानि 7 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार को है। कहा जाता है सुहागिन रहते हुए महिला की मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो, मगर उनकी पूजा मातृ नवमी को ही की जाती है। रोजाना की तरह ही इस दिन का तर्पण श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है, केवल यह माता के लिए श्रद्धा भाव से समर्पित रहता है। इस दिन मां, दादी, परदादी और उनके ऊपर की माता को याद कर क्रियाएं की जाती हैं।
ऐसे करें तर्पण और पिंडदान
इस दिन तर्पण करने के लिए साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए फिर अपने जातक के लिए जलाशयों पर जाकर या घरों के आंगन या छत पर बैठकर हाथ में जल, कुशा, अक्षत, तिल आदि से पितरों को स्मरण तर्पण करना चाहिए। तब तर्पण किया जाता है जब आप अपनी मां का पितरों में मिलान कर चुके हों। इसके बाद चावल का गोला बनाकर नदी या जलाशय के किनारे पर आचार्य के निर्देशन में पिंडदान की विधि विधान से अपनी माता को स्मरण कर तर्पण करना चाहिए।
इस तरह करें श्राद्ध कर्म
घर पर श्राद्ध कर्म भी करें, जिसमें खीर, पूरी, सब्जी, खट्टा मीठा या जो उनको पसंद था वह भी बना सकते हैं। इसके बाद 4 भाग उस भोजन से निकाले। जिसे कौवा, गाय, स्वान( कुत्ता), अभ्यागात या अतिथि के लिय रख दें। इसके बाद अग्नि में 7 आहुतियां( 3 घी+3 शक्कर+1 धूप) की दें। फिर दक्षिण दिशा में सरसों के तेल से एक मिट्टी का दीपक उजियारे और उसमें काली तिल के दाने भी डालें।
विद्वानों का मत
पंडित अनिल कुमार पांडे का कहना है कि पितृपक्ष में हम सभी अपने पितरों को स्मरण करते हैं। पितरों का मतलब होता है माता-पिता, दादी दादा, परदादा परदादी और उनके ऊपर के सभी। हमारे हिंदू धर्म में मातृशक्ति का काफी महत्व है इसलिए पितृपक्ष में एक ऐसा दिन नियत है जिसे मातृ नवमी कहा जाता है। इस दिन हम ऐसी माता को स्मरण करते हैं जिनकी मृत्यु अपने पति के जीवन काल में ही हो गई है। इस दिन उनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है। नवमी के दिन अपनी माता, दादी, परदादी के लिए विशेष श्राद्ध कर्म किया जाता है।