Home राजनीति उद्धव से दूरी, पवार से नजदीकियां! कांग्रेस की नई चाल ने बदला...

उद्धव से दूरी, पवार से नजदीकियां! कांग्रेस की नई चाल ने बदला चुनावी माहौल

BMC चुनाव 2025 कांग्रेस–एनसीपी गठबंधन की अटकलों ने मुंबई की राजनीति में नई हलचल मचा दी है।

मुंबई की राजनीति BMC चुनाव 2025 के पहले से ही सुलग रही थी, लेकिन अचानक कांग्रेस नेताओं की शरद पवार से मुलाकात ने पूरे परिदृश्य को और विस्फोटक बना दिया। इस मुलाकात के बाद से राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है कि BMC चुनाव 2025 कांग्रेस–एनसीपी गठबंधन अब हकीकत का रूप ले सकता है। कांग्रेस ने पिछले कई महीनों में उद्धव ठाकरे गुट से जो दूरी बनाई है, वह अब खुलकर सामने आने लगी है।

कांग्रेस की इस मुलाकात की तस्वीरें सामने आते ही सवाल उठने लगे—क्या कांग्रेस ने BMC की लड़ाई में अपनी रणनीति बदल दी है? क्या वह अब उद्धव ठाकरे के बजाय शरद पवार के साथ मिलकर मैदान में उतरना चाहती है? इन सवालों ने मुंबई की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है।

कांग्रेस की रणनीति: क्यों जरूरी हो गया पवार का साथ?

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस को इस समय एक मजबूत और स्थिर गठबंधन की आवश्यकता है। BMC चुनाव में शिवसेना (UBT) की कमजोर स्थिति को देखते हुए कांग्रेस अब दूसरी दिशा में कदम बढ़ाती दिख रही है। यही वजह है कि BMC चुनाव 2025 कांग्रेस–एनसीपी गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है।

कांग्रेस चाहती है कि मुंबई में मराठा वोट, अल्पसंख्यक वोट और पारंपरिक कांग्रेस समर्थक एक मंच पर आएं। ऐसा तभी संभव है जब शरद पवार और कांग्रेस फिर साथ आएं। पवार की पकड़ न सिर्फ मराठा समाज पर है बल्कि मुंबई के व्यावसायिक और सांस्कृतिक वर्ग तक भी उनकी गहरी पैठ है। कांग्रेस नेतृत्व अब यह समझ चुका है कि अकेले दम पर BMC में संघर्ष करना मुश्किल होगा।

इसके अलावा, शिवसेना (UBT) और कांग्रेस के बीच कई मुद्दों पर खटास बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि कांग्रेस के अंदर से आवाज उठी कि अब नए समीकरण पर दांव खेलना चाहिए।

शरद पवार की रणनीति: क्या वे ठाकरे से दूरी बनाएंगे?

कांग्रेस की ओर झुकाव तो दिख रहा है, लेकिन बड़ा सवाल है—क्या शरद पवार भी इस गठबंधन की तरफ कदम बढ़ाएँगे? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पवार अब मुंबई की राजनीति में फिर से खुद को निर्णायक बनाना चाहते हैं। BMC चुनाव 2025 कांग्रेस–एनसीपी गठबंधन उन्हें यह अवसर दे सकता है।

हाल के महीनों में पवार और ठाकरे गुट के बीच कई मुद्दों पर मतभेद दिखाई दिए हैं। चाहे सीट बंटवारा हो, रणनीति हो या चुनाव प्रचार—तीनों क्षेत्रों में दूरी बढ़ी है। पवार अब उस स्थिति में नहीं रहना चाहते जहाँ नेतृत्व दूसरे के हाथ में हो। कांग्रेस के साथ नई साझेदारी उन्हें एक केंद्रीय भूमिका दे सकती है।

पवार फिलहाल राजनीतिक परिस्थितियों को परख रहे हैं। वे किसी भी जल्दबाजी में फैसला नहीं करना चाहेंगे, लेकिन यह भी साफ है कि हालिया मुलाकात कांग्रेस के संकेतों को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

उद्धव ठाकरे की बढ़ी चिंता: क्या टूट जाएगा महाविकास आघाड़ी?

कांग्रेस और पवार की बढ़ती नजदीकियों ने सबसे ज्यादा चिंता शिवसेना (UBT) और उद्धव ठाकरे खेमे में पैदा की है। BMC हमेशा से ठाकरे परिवार का गढ़ रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पार्टी का जनाधार कमजोर पड़ा है। ऐसे में यदि BMC चुनाव 2025 कांग्रेस–एनसीपी गठबंधन सच हो जाता है, तो ठाकरे गुट की राह बेहद मुश्किल हो सकती है।

शिवसेना (UBT) नेताओं ने इस मुलाकात पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कांग्रेस ने बिना जानकारी के यह कदम उठाया, जिससे गठबंधन की मर्यादा टूटी है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे महाविकास आघाड़ी में “साइलेंट ब्रेकअप” की शुरुआत बता रहे हैं।

उद्धव ठाकरे की चिंता इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि अगर कांग्रेस और पवार एक मंच पर आते हैं, तो शिवसेना का पारंपरिक वोट बैंक भी बंट सकता है। वहीं भाजपा इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है और रणनीतिक लाभ उठाने की तैयारी कर रही है।

Read more-क्या एक सुपारी पलट सकती है किस्मत? जानें कैसे एक साधारण बीज बन सकता है धन और सौभाग्य का राज

Exit mobile version