पाकिस्तान के आर्मी चीफ और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज असीम मुनीर को सऊदी अरब सरकार ने अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान किंग अब्दुलअजीज मेडल (ऑफ एक्सीलेंट क्लास) देकर पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। रियाद में आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम में सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान ने मुनीर को यह सम्मान प्रदान किया। आमतौर पर यह मेडल उन विदेशी हस्तियों को दिया जाता है जिन्होंने सऊदी अरब के साथ रणनीतिक, कूटनीतिक या सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया हो। ऐसे में पाकिस्तानी सेना प्रमुख को यह सम्मान मिलना सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच तेजी से मजबूत होते रक्षा और सुरक्षा संबंधों का बड़ा संकेत माना जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह सम्मान दोनों देशों के रिश्तों में एक नए चरण की शुरुआत को दर्शाता है।
पाक-सऊदी रक्षा रिश्ते: दशकों पुरानी दोस्ती, नया तेवर
पाकिस्तान और सऊदी अरब के रक्षा संबंध कोई नए नहीं हैं। दशकों से पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी सऊदी अरब में प्रशिक्षण, सलाह और सुरक्षा सहयोग में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। सऊदी अरब के कई संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में पाकिस्तानी सेना पहले भी शामिल रही है। लेकिन हालिया महीनों में इन रिश्तों में जो तेजी आई है, उसने वैश्विक रणनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है। इसी साल दोनों देशों के बीच ऐसा रक्षा समझौता भी सामने आया है, जिसमें एक-दूसरे की सुरक्षा में सहयोग और संकट की स्थिति में साथ खड़े रहने की बात कही गई है। असीम मुनीर का सऊदी दौरा और उन्हें मिला सर्वोच्च सम्मान इसी बढ़ते भरोसे का प्रतीक माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, सऊदी अरब बदलते मध्य-पूर्वी हालात में अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करना चाहता है और इसमें पाकिस्तान की पेशेवर और अनुभवी सेना उसे एक भरोसेमंद साझेदार नजर आती है।
प्रिंस खालिद का बयान
सऊदी रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर असीम मुनीर के साथ तस्वीरें साझा करते हुए साफ शब्दों में कहा कि यह सम्मान आपसी सहयोग बढ़ाने और सऊदी-पाकिस्तानी रिश्तों को मजबूत करने में उनके विशेष योगदान के लिए दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय शांति, क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी हितों से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। कूटनीतिक भाषा में यह बयान भले ही सामान्य लगे, लेकिन इसके संकेत काफी गहरे माने जा रहे हैं। सऊदी अरब इस समय कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है और वह ऐसे सहयोगी चाहता है जो जरूरत पड़ने पर केवल कूटनीतिक समर्थन ही नहीं, बल्कि सैन्य सहयोग भी दे सके। ऐसे में पाकिस्तानी सेना को करीब लाना सऊदी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है।
क्या संघर्ष की स्थिति में पाक सेना बनेगी सऊदी ढाल?
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि क्या सऊदी अरब भविष्य में किसी संभावित संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तानी सेना पर ज्यादा निर्भर होना चाहता है। क्षेत्रीय जानकार मानते हैं कि मध्य पूर्व में अस्थिरता, ईरान के साथ तनाव और वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव के बीच सऊदी अरब अपनी सुरक्षा नीति को नए सिरे से गढ़ रहा है। पाकिस्तान की सेना, जिसका अनुभव आतंकरोधी अभियानों से लेकर पारंपरिक युद्ध तक रहा है, सऊदी अरब के लिए एक मजबूत विकल्प बन सकती है। असीम मुनीर को दिया गया सर्वोच्च सम्मान इसी रणनीतिक सोच का सार्वजनिक संकेत माना जा रहा है। हालांकि, पाकिस्तान के लिए भी यह रिश्ता केवल सम्मान तक सीमित नहीं है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से निवेश, तेल सुविधा और कूटनीतिक समर्थन की उम्मीद रहती है। ऐसे में दोनों देशों की यह नजदीकी आने वाले समय में सिर्फ रक्षा नहीं, बल्कि राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाल सकती है।
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