अक्सर ब्रेस्ट कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के ज़ेहन में महिलाओं की तस्वीर आती है, लेकिन यह बीमारी पुरुषों को भी प्रभावित कर सकती है। डॉक्टरों के अनुसार, हर इंसान के शरीर में ब्रेस्ट टिशू मौजूद रहता है। जब इन टिशू की कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो वही कैंसर में बदल सकती हैं। शुरुआत में यह एक छोटी सी गांठ के रूप में दिखाई देता है, जो समय के साथ ट्यूमर बन जाता है।
हाल के वर्षों में अमेरिका और कई देशों में पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़े हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बीमारी 60 से 70 वर्ष की उम्र के पुरुषों में ज़्यादा देखने को मिलती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। सबसे बड़ी चुनौती है — पुरुषों में इसके लक्षणों को समय पर पहचानना, क्योंकि कई लोग इसे ‘सामान्य सूजन’ या ‘थकान’ मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
किन पुरुषों को रहता है ज्यादा खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती उम्र, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, लिवर से जुड़ी बीमारियाँ, और परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास — ये सभी कारण पुरुषों में भी खतरे को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम नामक स्थिति (जहां पुरुषों में अतिरिक्त X क्रोमोसोम होता है) भी जोखिम को कई गुना बढ़ा देती है।
लंबे समय तक एस्ट्रोजन थेरेपी लेना, टेस्टिकल्स से जुड़ी चोट या सर्जरी, और अत्यधिक शराब या धूम्रपान की आदत भी इसकी संभावना बढ़ा सकती है। इसलिए यदि आपके परिवार में पहले कभी ब्रेस्ट कैंसर के मामले रहे हों या शरीर में कोई असामान्य परिवर्तन दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराना ज़रूरी है।
शुरुआती लक्षण जिन्हें नज़रअंदाज़ न करें
पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती संकेत अक्सर मामूली लगते हैं — जैसे छाती में गांठ या कठोरता, निप्पल का अंदर की ओर मुड़ जाना, निप्पल से खून या तरल पदार्थ निकलना, त्वचा पर लालपन या झुर्रियाँ, और लगातार दर्द। कई बार इन लक्षणों के साथ बगल के पास भी सूजन महसूस होती है।
समय पर जांच और इलाज से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। डॉक्टर बताते हैं कि अगर इसे शुरुआती स्टेज में पकड़ लिया जाए, तो रिकवरी की संभावना काफी अधिक होती है। इसलिए जागरूक रहें और किसी भी बदलाव को अनदेखा न करें।
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