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खून में छिपा है जिंदगी-मौत का राज! यह ब्लड टेस्ट बता सकता है कितने दिन जिएंगे आप

ब्रिटेन की सरे यूनिवर्सिटी की नई स्टडी में पता चला कि एक खास ब्लड टेस्ट, जिसमें प्रोटीन पैनल शामिल है, भविष्य में मौत और गंभीर बीमारियों का सटीक अंदाजा दे सकता है।

सोचिए अगर आप पहले ही जान जाएं कि आपकी सेहत के आधार पर आपके कितने दिन बाकी हैं। सुनने में यह अजीब लग सकता है, लेकिन विज्ञान ने इसे संभव बना दिया है। सरे यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक स्टडी प्रकाशित की है जिसमें बताया गया है कि खून में मौजूद कुछ प्रोटीन भविष्य में आपकी सेहत और जीवनकाल के बारे में संकेत दे सकते हैं। आम तौर पर डॉक्टर उम्र, वजन, ब्लड प्रेशर और जीवनशैली की जानकारी के आधार पर जोखिम का अंदाजा लगाते हैं, लेकिन ये तरीके अक्सर सामान्य और कम सटीक होते हैं। अब ब्लड टेस्ट के जरिए अधिक स्पष्ट और वैज्ञानिक अंदाजा लगाया जा सकता है।

नई स्टडी में क्या खास है

विशेषज्ञों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या खून में पहले से ऐसे संकेत मौजूद हैं जो भविष्य की गंभीर बीमारियों और मौत के जोखिम को दर्शा सकें। इसके लिए उन्होंने प्रोटीन पर फोकस किया, क्योंकि शरीर में चल रही अंदरूनी प्रक्रियाओं का आईना यही प्रोटीन होते हैं। स्टडी में प्रतिभागियों के उम्र, BMI (बॉडी मास इंडेक्स) और स्मोकिंग जैसी आदतों को भी ध्यान में रखा गया ताकि परिणाम अधिक सटीक निकलें। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तरीका पुराने अनुमानित तरीकों की तुलना में कहीं अधिक भरोसेमंद और वैज्ञानिक रूप से मजबूत है।

प्रोटीन पैनल और मौत का जोखिम

इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने सैकड़ों प्रोटीन की पहचान की, जिनका संबंध कैंसर, दिल की बीमारियों और किसी भी कारण से मृत्यु के जोखिम से था। खासकर दो पैनल तैयार किए गए: पहला पैनल 10 प्रोटीन का था, जो अगले 10 साल में होने वाले कुल मृत्यु जोखिम का संकेत देता है। वहीं, दूसरा पैनल 6 प्रोटीन का था, जो अगले पांच साल के जोखिम का संकेत देता है। इन पैनलों ने पुराने तरीके—जिनमें केवल उम्र और जीवनशैली शामिल थी—की तुलना में बेहतर और सटीक परिणाम दिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तरीका भविष्य में हेल्थकेयर और प्रिवेंटिव मेडिसिन के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य के लिए नई राह, लेकिन सावधानी जरूरी

शोधकर्ताओं ने चेताया है कि यह ब्लड टेस्ट जीवनकाल की सटीक भविष्यवाणी नहीं करता, बल्कि संभावित जोखिम और शरीर में चल रही प्रक्रियाओं के संकेत देता है। इसे केवल एक संकेतक के रूप में देखा जाना चाहिए और स्वास्थ्य में सुधार के लिए नियमित जांच, संतुलित आहार और जीवनशैली पर ध्यान देना जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इस तरह के टेस्ट हेल्थकेयर को व्यक्तिगत और अधिक सटीक बनाने में मदद करेंगे। यह खोज यह भी बताती है कि खून में छिपी सूचनाओं को सही तरीके से पढ़कर हम अपने जीवन को बेहतर और लंबा बनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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