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लोग समझते रहे सिगरेट है खतरनाक, लेकिन असली कातिल निकला तंबाकू! नई स्टडी ने खोला ऐसा राज़ जो चौंका देगा

सिगरेट नहीं, तंबाकू है असली ‘साइलेंट किलर’ — ग्लोबल रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा, DNA तक को नुकसान पहुंचाता है यह ज़हर।

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आज के दौर में तंबाकू और सिगरेट दोनों ही इंसानों के जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। कुछ लोग इसे तनाव मिटाने का जरिया मानते हैं तो कुछ स्टाइल दिखाने का। लेकिन हाल ही में आई एक ग्लोबल स्टडी ने उस सोच को झटका दे दिया है, जिसमें लोग सिगरेट को सबसे खतरनाक मानते थे। दरअसल, तंबाकू के सेवन से कैंसर का खतरा सिगरेट की तुलना में कई गुना तेजी से बढ़ता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति तंबाकू चबाता है तो इसमें मौजूद नाइट्रोसामाइंस (TSNAs) और पॉलीसायक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) जैसे केमिकल्स सीधे हमारे मुंह की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। ये सेल्स को डैमेज कर देते हैं, जिससे धीरे-धीरे कैंसर सेल्स बनने लगते हैं। वहीं, सिगरेट के धुएं का कुछ हिस्सा हवा में उड़ जाने के कारण उसका प्रभाव थोड़ा कम हो जाता है, जबकि तंबाकू सीधा शरीर के संपर्क में रहता है।

DNA तक को नुकसान पहुंचाता है तंबाकू, मुंह और गले में सबसे ज्यादा खतरा

इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग रोजाना तंबाकू या गुटखा खाते हैं, उनमें ओरल और थ्रोट कैंसर के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कैंसर सेल्स बेहद तेजी से बढ़ते हैं और कुछ ही महीनों में गले तक फैल सकते हैं। तंबाकू में मौजूद जहरीले तत्व DNA स्ट्रक्चर को भी तोड़ देते हैं, जिससे शरीर की इम्यूनिटी कम हो जाती है और हेल्दी सेल्स मरने लगते हैं।

इस प्रक्रिया के कारण धीरे-धीरे शरीर में टॉक्सिक सेल्स की संख्या बढ़ती जाती है और कैंसर अपने शुरुआती चरण में पहचान में नहीं आता। डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैं जब स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है। यही वजह है कि तंबाकू सेवन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है — जो बिना आवाज किए जान ले लेता है।

आदत नहीं, लत बन जाती है तंबाकू; जानिए क्यों मुश्किल है इसे छोड़ना

आज की युवा पीढ़ी में तंबाकू, गुटखा और सुर्ती का सेवन एक तरह का फैशन ट्रेंड बन गया है। कुछ लोग दोस्तों के प्रेशर में आकर इसे आज़माते हैं, तो कुछ तनाव कम करने के लिए। लेकिन एक बार जब शरीर में निकोटिन की लत लग जाती है, तो उसे छोड़ना बेहद कठिन हो जाता है। धीरे-धीरे यह लत मुंह के टिश्यू को डैमेज कर देती है, जिससे घाव, दांतों में सड़न, बदबू और मसूड़ों की बीमारी जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इस स्टेज पर तंबाकू नहीं छोड़ा गया, तो यही घाव आगे चलकर कैंसर में बदल सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि हर साल लाखों लोगों की मौत केवल तंबाकू सेवन की वजह से होती है। इसलिए यह वक्त है कि लोग इसे आदत नहीं, एक ‘जहर’ मानें और अपने जीवन को इस खतरनाक लत से बचाएं।

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