बेंगलुरु की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर एक महिला की साधारण-सी बाइक सवारी अचानक भय और तनाव में बदल गई। यह घटना शहर के एक व्यस्त इलाके में हुई, जहाँ महिला ने रैपिडो ऐप से बाइक-टैक्सी बुक की थी। शुरुआती कुछ मिनट सब सामान्य थे, लेकिन जैसे ही बाइक एक सुनसान सड़क की ओर मुड़ी, महिला को चालक के व्यवहार में बदलाव महसूस हुआ। आरोप है कि चालक ने बार-बार पीछे मुड़कर उसे अजीब निगाहों से देखा और कुछ देर बाद उसने उसके पैर को छूने की कोशिश की।
डरी-सहमी महिला ने तुरंत अपना मोबाइल कैमरा ऑन किया और वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। नए इलाके में होने की वजह से वह राइड बीच में छोड़ने की स्थिति में नहीं थी। जैसे-तैसे वह अपनी मंज़िल तक पहुँची, जहाँ एक अनजान व्यक्ति ने उसकी मदद की और आरोपी कैप्टन को रोकने की कोशिश की। बाद में महिला ने पूरी घटना का वीडियो और अपना अनुभव इंस्टाग्राम पर साझा किया, जिसके बाद यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
Rapido ने दी सफाई
घटना वायरल होते ही Rapido कंपनी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आधिकारिक बयान जारी किया। कंपनी ने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली और उन्होंने तुरंत संबंधित ड्राइवर को प्लेटफॉर्म से स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट कर दिया है। साथ ही, कंपनी ने यह भी जोड़ा कि यात्री सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी प्रकार की अनुचित हरकत के लिए “ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी” लागू है।
Rapido ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर जांच में सहयोग करने की बात कही है। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि सभी कैप्टन को दोबारा सुरक्षा और आचार-संहिता संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें महिला यात्रियों से व्यवहार, राइड रिकॉर्डिंग, और SOS प्रोटोकॉल के पालन पर विशेष ज़ोर होगा।
शिकायत दर्ज, महिला सुरक्षा पर उठे सवाल
बेंगलुरु पुलिस ने महिला की शिकायत दर्ज कर ली है और आरोपी की पहचान के लिए रैपिडो से राइड-डिटेल्स मांगी हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि चालक स्थानीय निवासी है और उसका ड्राइविंग रिकॉर्ड पहले भी संदिग्ध बताया गया था। पुलिस का कहना है कि वीडियो और जीपीएस डेटा को साक्ष्य के रूप में लिया गया है, ताकि आरोपी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सके।
सोशल मीडिया पर यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया है। कई यूज़र्स ने महिला के साहस की सराहना करते हुए सवाल उठाया है कि क्या राइड-शेयरिंग कंपनियाँ महिलाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय कर रही हैं। वहीं कुछ उपयोगकर्ताओं ने सुझाव दिया कि ऐप में एक “लाइव लोकेशन शेयरिंग” और “एक-क्लिक हेल्प” जैसी सुविधाएँ जोड़ी जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को तुरंत रोका जा सके।
कई महिला संगठनों ने मांग की है कि सरकार इस सेक्टर में सुरक्षा-मानकों की नियमित जांच करे और शिकायत-निवारण तंत्र को और मजबूत बनाए।
यह घटना सिर्फ एक शहर या एक कंपनी का मामला नहीं है—यह सवाल है उस विश्वास का जो महिलाएँ रोज़मर्रा की यात्रा में इन सेवाओं पर करती हैं। हर सवारी के साथ सुरक्षा की गारंटी सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि मानवीय ज़िम्मेदारी भी है। समाज को चाहिए कि वह पीड़ित की आवाज़ को समर्थन दे, न कि डराए। रैपिडो हो या कोई और ऐप-आधारित सेवा, सुरक्षा तभी सुनिश्चित होगी जब तकनीक के साथ-साथ संवेदनशीलता को भी महत्व दिया जाए।
