20 अक्टूबर की सुबह फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक गहरा सदमा लेकर आई। दिग्गज अभिनेता गोवर्धन असरानी, जिन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग और मासूम एक्सप्रेशन से दशकों तक दर्शकों को हंसाया, अब हमारे बीच नहीं रहे। लंबे समय से बीमार चल रहे असरानी का निधन सोमवार को हुआ। जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों की बाढ़ आ गई। हर किसी के दिल में वही सवाल – ‘जो सबकी ज़िंदगी में हंसी लाता था, वो यूं अचानक कैसे चला गया?’ असरानी ने अपने करियर में 350 से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया और ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘आप की खातिर’ जैसी अनगिनत क्लासिक्स में अपनी मौजूदगी से जादू बिखेरा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – “असरानी जी ने हर चेहरे पर मुस्कान छोड़ी”
दिग्गज अभिनेता के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा दुख व्यक्त किया। एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए उन्होंने असरानी को एक “वर्सेटाइल और गिफ्टेड एंटरटेनर” बताया। प्रधानमंत्री ने लिखा, “श्री गोवर्धन असरानी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक प्रतिभाशाली एंटरटेनर, जिन्होंने पीढ़ियों तक दर्शकों को हंसाया और अपनी यादगार अदाकारी से हर चेहरे पर मुस्कान छोड़ गए।” पीएम मोदी ने असरानी के परिवार, दोस्तों और फैंस के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सिनेमाई विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
Deeply saddened by the passing of Shri Govardhan Asrani Ji. A gifted entertainer and a truly versatile artist, he entertained audiences across generations. He particularly added joy and laughter to countless lives through his unforgettable performances. His contribution to Indian…
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2025
उनके इस संदेश के बाद पूरे देश में असरानी को याद करने की एक भावनात्मक लहर दौड़ गई। आम लोग से लेकर बड़े स्टार्स तक, सभी ने एक स्वर में कहा – “असरानी ने सिर्फ किरदार नहीं निभाए, उन्होंने हमें खुश रहना सिखाया।”
‘शोले’ का जेलर, ‘चुपके चुपके’ का मास्टर – हर रूप में असरानी अमर
असरानी का करियर केवल हंसी तक सीमित नहीं था। वे उन कलाकारों में थे जिन्होंने कॉमेडी को कला का दर्जा दिया। उनकी डायलॉग डिलीवरी और नैचुरल एक्सप्रेशन ने उन्हें उस दौर का कॉमेडी किंग बना दिया। ‘शोले’ के जेलर का किरदार आज भी लोगों की ज़ुबान पर है — “हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…” — यह डायलॉग हिंदी सिनेमा का हिस्सा नहीं, बल्कि संस्कृति बन गया।
असरानी ने गंभीर भूमिकाओं में भी अपनी पहचान छोड़ी। ‘रिश्ते’, ‘अभिमान’, ‘राजा बाबू’ और ‘लगान’ जैसी फिल्मों में उनके छोटे लेकिन असरदार रोल्स ने दिखाया कि वे सिर्फ हंसाने वाले नहीं, बल्कि भावनाओं को जीने वाले कलाकार थे। उनके निधन के साथ बॉलीवुड का एक युग समाप्त हो गया है, जो कभी दोबारा नहीं लौटेगा।
