रामानंद सागर द्वारा निर्देशित ‘रामायण’ ने भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक ऐसी लकीर खींच दी, जिसे कोई दूसरा शो पार नहीं कर सका। 1987 में प्रसारित इस धारावाहिक ने दर्शकों के दिलों पर इस कदर राज किया कि हर रविवार सुबह 9:30 बजे लोग अपने काम छोड़कर इसे देखने बैठ जाते थे। ‘रामायण दिवस’ कहना उस दौर में आम बात थी। सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था और मोहल्लों की एकमात्र आवाज होती थी – टीवी से आती रामायण की गूंज।
दुल्हन ने रोकी शादी, मंत्री पहुंचे शपथ ग्रहण में लेट
इस शो की दीवानगी इतनी थी कि चंडीगढ़ में एक दुल्हन ने अपनी शादी सिर्फ इसलिए एक घंटे रोकी क्योंकि वो एपिसोड मिस नहीं करना चाहती थी। सतारा में भी एक दुल्हन शादी में देरी से पहुंची क्योंकि वह रामायण देख रही थी। इतना ही नहीं, दो केंद्रीय मंत्री राष्ट्रपति भवन में हो रहे शपथ ग्रहण समारोह में देर से पहुंचे क्योंकि वे पहले शो पूरा देखना चाहते थे। जम्मू-कश्मीर में जब शो के प्रसारण के वक्त बिजली चली गई, तो लोग गुस्से में बिजलीघर तक पहुंच गए और हमला कर बैठे।
जब लक्ष्मण बेहोश हुए, कोमा में चला गया एक व्यापारी
‘रामायण’ सिर्फ एक धारावाहिक नहीं था, यह लोगों की भावना बन चुका था। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक बार जब शो में लक्ष्मण जी को मुर्छित होते दिखाया गया, तो उत्तर भारत के एक व्यापारी को इतनी भावनात्मक चोट पहुंची कि वह कोमा में चला गया। यह देख रामानंद सागर की टीम को 24 घंटे के भीतर एक विशेष दृश्य तैयार करना पड़ा, जिसमें लक्ष्मण जी को स्वस्थ दिखाया गया। इस दृश्य के प्रसारण के बाद व्यापारी की हालत सुधरी और वह होश में लौट आया। इसी दौरान मुजफ्फरनगर में एक शवयात्रा भी रामायण के एक एपिसोड के कारण देर से निकाली गई थी, ताकि लोग पहले शो देख सकें।