ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम इंडिया से बाहर किए जाने के बाद मोहम्मद शमी ने अपने आलोचकों को बल्ले से नहीं, बल्कि गेंद से करारा जवाब दिया है. घरेलू रेड बॉल टूर्नामेंट में उन्होंने सिर्फ दो मैचों में 15 विकेट चटका दिए, वो भी बेहद किफायती गेंदबाजी के साथ. उनके शानदार स्पेल्स ने विपक्षी बल्लेबाजों को चारों खाने चित कर दिया. सेलेक्टर्स की ओर से ‘वर्कलोड मैनेजमेंट’ का बहाना अब कमजोर पड़ता दिख रहा है, क्योंकि शमी का फिटनेस और रिदम दोनों ही टॉप गियर में है.
अगकरकर की मुश्किलें बढ़ीं, सेलेक्शन पर दबाव
चीफ सेलेक्टर अजीत अगकरकर के लिए अब फैसला आसान नहीं रहने वाला. शमी के इस धमाकेदार प्रदर्शन ने अफ्रीका टेस्ट सीरीज से पहले चयन को लेकर नई बहस छेड़ दी है. सूत्रों के मुताबिक, टीम इंडिया मैनेजमेंट शमी को आराम देना चाहता था, लेकिन उनके मौजूदा फॉर्म को नजरअंदाज करना किसी जोखिम से कम नहीं. अगर शमी को फिर नजरअंदाज किया गया, तो सवाल उठेंगे कि आखिर प्रदर्शन का मापदंड क्या है?
फिटनेस रिपोर्ट में भी पास, सेलेक्शन को मजबूर करेंगे आंकड़े
टीम इंडिया की मेडिकल यूनिट के अनुसार, मोहम्मद शमी पूरी तरह फिट हैं और लगातार लंबे स्पेल फेंक रहे हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि उन्होंने पिछले चार महीनों में किसी मैच में औसत से नीचे गेंदबाजी नहीं की. ऐसे में अफ्रीका की तेज पिचों पर उनकी अनुभव और स्विंग की क्षमता किसी भी विपक्ष के लिए चुनौती साबित हो सकती है.
अफ्रीका दौरे पर ‘शमी फैक्टर’ का असर तय
अगर बीसीसीआई शमी को अफ्रीका सीरीज के लिए शामिल करता है, तो यह टीम इंडिया के गेंदबाजी आक्रमण को नई धार देगा. मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह के साथ शमी की जोड़ी किसी भी बल्लेबाजी लाइनअप को ध्वस्त करने में सक्षम है. वहीं, अगर सेलेक्टर्स ने उन्हें बाहर रखा, तो सोशल मीडिया और क्रिकेट फैंस के बीच इसका भारी विरोध देखने को मिल सकता है.
शमी बोले- ‘मैं हमेशा तैयार हूं’
हाल ही में एक इंटरव्यू में शमी ने कहा था, “मुझे चयन से फर्क नहीं पड़ता, मेरा काम है प्रदर्शन करना. जब भी मौका मिलेगा, मैं अपनी पूरी ताकत झोंक दूंगा।” उनका यह आत्मविश्वास अब नतीजों में साफ झलक रहा है. टीम इंडिया के लिए यह राहत की बात है कि उनका सीनियर गेंदबाज अब भी पहले की तरह लय में है और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बना हुआ है.
