सोम प्रदोष व्रत 2025 की तिथि को लेकर लोगों के बीच काफी भ्रम देखा जा रहा था। कई पंचांग 17 नवंबर बता रहे थे, जबकि कुछ स्थानों पर 18 नवंबर का उल्लेख किया गया। लेकिन शास्त्रीय गणना और मार्गशीर्ष मास की शुरुआत के आधार पर स्पष्ट हो जाता है कि मार्गशीर्ष महीने का पहला सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को पड़ेगा।
प्रदोष तिथि हमेशा सूर्यास्त के बाद के समय से जुड़ी मानी जाती है, और शास्त्रों में कहा गया है कि जो तिथि संध्याकाल में विद्यमान हो, वही व्रत के लिए मान्य है। इस नियम के आधार पर 17 नवंबर की शाम को प्रदोष काल रहेगा, इसलिए यही तिथि मान्य मानी जाएगी। यही कारण है कि इस दिन किया गया व्रत, पूजन और जप-व्रत विशेष फलदायी माना गया है। शिव भक्तों के लिए यह पवित्र अवसर खुला निमंत्रण है, जिसमें श्रद्धा से किया गया छोटा सा प्रयास भी बड़ा पुण्य दे सकता है।
मार्गशीर्ष का पहला प्रदोष—क्यों है इतना विशेष?
मार्गशीर्ष मास को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। देवताओं का मास कहे जाने वाले इस माह में होने वाला Som सोम प्रदोष व्रत 2025 कई गुना पुण्य प्रदान करता है। सोम प्रदोष वो दिन है जब भगवान शिव अपनी कृपा वर्षा सबसे अधिक सहजता से करते हैं। शिव पुराण में उल्लेख है कि मार्गशीर्ष के प्रदोष का महत्व सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन किया गया व्रत व्यक्ति के जीवन के संकटों को दूर करता है, मन की शांति देता है और कोई रुका हुआ कार्य भी तेजी से पूर्ण होता है।
सोमवार शिव का प्रिय दिन है, और सोमवार के प्रदोष को चंद्र प्रदोष भी कहा जाता है। यह चंद्रमा और मन दोनों को संतुलित करता है। कहा गया है कि जो व्यक्ति इस दिन शिव ध्यान और उपासना करता है, वह अनजाने भय, मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह से मुक्त होकर एक नई ऊर्जा प्राप्त करता है।
कैसे करें सोम प्रदोष की पूजा? संध्या से लेकर रात्रि तक का शुभ विधान
शास्त्र कहते हैं कि सोम प्रदोष व्रत 2025 का सबसे प्रभावी समय सूर्यास्त से 1 घंटा 30 मिनट पहले और 1 घंटा 30 मिनट बाद तक माना जाता है। इस समय किए गए मंत्र-जप और पूजा से शिव कृपा तुरंत प्रसन्न होती है। व्रतधारियों को दिनभर संयम रखना चाहिए। प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, दही और मधु चढ़ाना शुभ माना गया है। बिल्वपत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित करना शिव को अति प्रिय है।
ध्यान रखें—
इस दिन घर में झगड़ा न हो
भोजन में तामसिक वस्तुओं का उपयोग न करें
दान-पुण्य अवश्य करें
शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जप विशेष फल देता है
शिव कृपा पाने का खास उपाय—क्यों कहा जाता है ‘अचूक’?
कई धार्मिक ग्रंथों में सोम प्रदोष के दिन एक खास उपाय का उल्लेख मिलता है, जो अत्यधिक फलदायी माना गया है। कहा गया है कि प्रदोष काल में एक दीपक शिवलिंग के बाईं ओर और एक दीपक दाईं ओर जलाकर “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जप करने से अभाव, रुकावट और बाधाओं का शमन होता है। अगर किसी व्यक्ति पर शनि, राहु या चंद्र दोष का प्रभाव हो, तो यह उपाय कारगर ढाल की तरह कार्य करता है। स्वास्थ्य समस्याएँ, करियर में रुकावट, धन हानि और पारिवारिक तनाव भी इससे कम होते हैं।
कहावत है—
“प्रदोष का दीपक हर दिशा में प्रकाश फैलाता है।”
अर्थात् यह सिर्फ भौतिक अंधकार ही नहीं, जीवन का मानसिक अंधेरा भी दूर करता है।
इस उपाय को मार्गशीर्ष के पहले सोम प्रदोष पर करने से फल कई गुना बढ़ जाता है और माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं साधक के सामने अदृश्य रूप से खड़े होकर उसकी मनोकामना सुनते हैं।
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