Friday, November 14, 2025

अबकी बार किसका बिहार? विधानसभा चुनाव पर अंतिम फैसला आज

बिहार की राजनीति आज एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। चुनाव प्रचार, जनसभाएँ, नेताओं की तल्ख़ बयानबाज़ी, और जनता की जबरदस्त भागीदारी—इन सबके बीच अब आखिरकार वह क्षण आ गया है, जिसका इंतज़ार लाखों लोगों ने किया है। विधानसभा चुनावों की मतगणना आज सुबह आठ बजे शुरू होगी और जैसे-जैसे राउंड आगे बढ़ते जाएंगे, यह साफ होने लगेगा कि अबकी बार बिहार की कमान किस हाथ में होगी।

दो चरणों में हुए मतदान में जनता की सहभागिता ने यह संकेत पहले ही दे दिया था कि इस बार जनादेश का स्वरूप बेहद दिलचस्प रहने वाला है। मतदान के आंकड़े साहसिक और उत्साहजनक दोनों रहे, क्योंकि उपस्थिति सामान्य से कहीं अधिक थी। महिलाओं, युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं की बढ़ी भागीदारी ने इस चुनाव को और अधिक प्रभावशाली बना दिया है।

मतदान के बाद भी लोगों में नतीजों को लेकर उत्सुकता चरम पर बनी हुई है। शहरों से लेकर कस्बों तक, और गांवों से लेकर सोशल मीडिया तक—सभी जगह बस एक ही चर्चा है: अबकी बार किसका बिहार?

एनडीए और महागठबंधन की सीधी टक्कर, लेकिन समीकरणों में छिपे कई मोड़

इस चुनाव में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू और भाजपा मिलकर सत्ता में वापसी की कोशिश में हैं। दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन युवा नेतृत्व और बदलाव का विकल्प पेश कर रहा है। दोनों पक्षों ने पूरे अभियान में एक-दूसरे पर जमकर हमले किए, और जनता के सामने अपनी-अपनी उपलब्धियों और मुद्दों को रखा।

लेकिन इस बार की चुनावी लड़ाई केवल दो गठबंधनों तक सीमित नहीं थी। कई छोटे दलों और नए राजनीतिक चेहरों ने भी मैदान में उतरकर मुकाबले को कड़ा कर दिया। जन सुराज जैसे उभरते राजनीतिक गुटों ने प्रदेश के कई इलाकों में तीसरे विकल्प की भूमिका निभाई, जिससे पारंपरिक राजनीति को नई चुनौती मिली।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ क्षेत्रों में वोटों का विभाजन इतना दिलचस्प है कि थोड़ा-सा अंतर भी अंतिम नतीजों को पलट सकता है। इससे कई सीटों पर रोमांच इस बार चरम पर रहने वाला है। यह कहना गलत नहीं होगा कि कुछ सीटों पर जीत की कहानी आखिरी राउंड तक भी तय नहीं होगी।

मतगणना केंद्रों में सख़्त सुरक्षा, रुझानों से बनेगी पहली तस्वीर

आज सुबह बिहार के सभी जिलों में स्थित मतगणना केंद्रों में तेज़ हलचल देखने को मिलेगी। चुनाव आयोग ने राज्यभर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं। बहु-स्तरीय सुरक्षा घेरा, प्रवेश द्वार पर पहचान की सख्त जांच और कैमरों से निगरानी—इन सबके बीच मतगणना शुरू होगी।

रुझान सबसे पहले डाक मतपत्रों से आने लगेंगे। इसके बाद ईवीएम की गिनती शुरू होते ही राजनीतिक तापमान और गर्म हो जाएगा। शुरुआती रुझान यह संकेत देंगे कि किस गठबंधन की हवा बह रही है। मगर यह भी सच है कि कई बार शुरुआती रुझान अंतिम नतीजे नहीं बताते, इसलिए सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम तक तस्वीर कई बार बदलने की संभावना रहेगी।

काउंटिंग हॉल में मौजूद प्रत्येक पार्टी के प्रतिनिधि हर राउंड पर गहरी नजर रखेंगे। किसी भी तरह की तकनीकी समस्या या शिकायत की स्थिति को संभालने के लिए अधिकारियों की विशेष टीम पहले से तैयार है। इस बार मतगणना प्रक्रिया और सुरक्षा को लेकर पारदर्शिता पर खास जोर दिया गया है।

क्या बनेगा स्पष्ट जनादेश या फिर होगा राजनीतिक भूचाल?

बिहार के राजनीतिक इतिहास में यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार कई विशेषज्ञों ने ‘हंग असेंबली’ की संभावना का संकेत दिया है। यदि किसी भी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता, तो जोड़-तोड़ की राजनीति, नया गठबंधन, और नेतृत्व की खींचतान जैसे कई नए मोड़ देखने को मिल सकते हैं।

एनडीए के पास मौजूदा सत्ता का अनुभव और प्रशासनिक मजबूती का दावा है। वहीं महागठबंधन के पास युवा नेतृत्व, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों का आधार है। आज यह साफ हो जाएगा कि लोगों ने स्थिरता चुनी है या परिवर्तन।

यदि छोटे दलों ने अपेक्षा से अधिक प्रदर्शन किया, तो वे सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। कुछ पार्टियों के लिए यह चुनाव प्रदेश की राजनीति में अपनी मौजूदगी मजबूत करने का मौका भी है। इसलिए आज आने वाले परिणाम न सिर्फ वर्तमान सरकार का भविष्य तय करेंगे, बल्कि आने वाले वर्षों की राजनीतिक दिशा भी निर्धारित करेंगे।

जनता की उम्मीदों का बोझ और नए बिहार की तलाश

बिहार की जनता ने इस चुनाव में सिर्फ एक सरकार नहीं चुननी है, बल्कि अपने आने वाले पाँच वर्षों की दिशा तय करनी है। युवाओं को रोजगार चाहिए, महिलाओं को सुरक्षा और अवसर चाहिए, किसानों को राहत और समर्थन चाहिए, और छोटे व्यापारियों को स्थिर आर्थिक माहौल।

जनता ने भारी संख्या में हिस्सा लेकर यह संदेश दिया है कि वे बदलाव के लिए उत्सुक हैं—चाहे वह बदलाव नेतृत्व में हो या नीतियों में। जो भी दल आज जीत की दहलीज पार करेगा, उसके सामने जनता की उम्मीदों का बड़ा बोझ रहेगा।

आज के नतीजे यह दिखाएंगे कि किस नेता या गठबंधन ने मतदाताओं के दिल में जगह बनाई है। चाहे सत्ता किसी की भी बने, यह चुनाव इस बात का संकेत जरूर है कि बिहार की जनता अब ‘काम’ को सबसे बड़ा मुद्दा मान चुकी है।

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