भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को अफ्रीकी देश बोत्सवाना की राजधानी गाबोरोन में औपचारिक स्वागत समारोह के साथ अपने ऐतिहासिक राजकीय दौरे की शुरुआत की। यह दौरा खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी भारतीय राष्ट्रपति ने इस देश की यात्रा की है। इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने अंगोला का दौरा किया था, जहाँ उन्होंने दोनों देशों के बीच रक्षा, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष तकनीक और डिजिटल ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं पर चर्चा की।
बोत्सवाना के राष्ट्रपति डुमा गिडियॉन बोको ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। राष्ट्रपति मुर्मू के इस दौरे को भारत-अफ्रीका संबंधों के नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है, जो दोनों देशों की साझेदारी को और मजबूत बनाएगा। अफ्रीका में लोकतंत्र और स्थिरता की मिसाल माने जाने वाला यह देश आज न केवल प्राकृतिक संसाधनों बल्कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है।
कालाहारी के दिल में धड़कता इतिहास
बोत्सवाना का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा कालाहारी रेगिस्तान से ढका हुआ है। यह सिर्फ एक रेगिस्तान नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से बसी उन आत्माओं का घर है, जिनकी कहानियाँ अब भी हवा में घुली हैं। यहां की सबसे प्राचीन जनजाति सान (San) या बासार्वा (Basarwa) है, जो प्रकृति के साथ एक अद्भुत तालमेल में जीवन बिताती है।
सान लोगों की जीवनशैली दुनिया के किसी भी आधुनिक समाज से बिल्कुल अलग है। वे शिकार और संग्रहण पर आधारित समाज हैं, जो रेगिस्तान की कठोर परिस्थितियों में भी जीवंतता बनाए रखते हैं। पानी की कमी के बावजूद वे प्रकृति से ही समाधान ढूंढते हैं — उदाहरण के लिए, वे शुतुरमुर्ग के अंडों में पानी संचित करते हैं ताकि लंबी यात्राओं के दौरान जीवित रह सकें।
उनकी संस्कृति में सबसे रहस्यमयी परंपरा है ‘ट्रांस डांस’, एक ऐसा नृत्य जिसमें आत्मा और शरीर का मिलन होता है। इस नृत्य के दौरान पुरुष और महिलाएं रातभर अग्नि के चारों ओर नाचते-गाते हैं। कहा जाता है कि इस नृत्य की लय में नर्तक एक आध्यात्मिक अवस्था में पहुँच जाते हैं, जहाँ वे आत्माओं से संवाद कर सकते हैं या बीमारियों को दूर करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।
“भारत-बोत्सवाना संबंधों में नई ऊर्जा”
राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा केवल राजनयिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी है। भारत और बोत्सवाना दोनों देशों में परंपरा और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है। भारत जहाँ योग और आयुर्वेद जैसी प्राचीन विधाओं को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ रहा है, वहीं बोत्सवाना अपने लोकनृत्य, जनजातीय संगीत और प्रकृति आधारित जीवनशैली को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने में जुटा है।
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने शिक्षा, टेक्नोलॉजी और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। भारत की ओर से बोत्सवाना की रक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए एक विशेष वित्तीय सहायता की घोषणा भी की गई है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि अफ्रीका, विशेष रूप से बोत्सवाना, भारत के लिए एक “प्राकृतिक साझेदार” है। क्योंकि दोनों देशों की विकास-दृष्टि, लोकतंत्र और सांस्कृतिक सम्मान की भावना एक जैसी है।
कालाहारी की आत्मा: नृत्य से चिकित्सा तक
सान जनजाति का ‘ट्रांस डांस’ बोत्सवाना की पहचान बन चुका है। यह नृत्य न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक आयोजन है, बल्कि समुदाय में एकता और उपचार का माध्यम भी है। जनजाति के बुजुर्ग बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो पूरी बस्ती उसके चारों ओर एकत्र होकर नृत्य करती है। इस प्रक्रिया में न केवल शरीर, बल्कि मन भी शुद्ध होता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह नृत्य ध्यान और मेडिटेशन की तरह कार्य करता है। तेज़ लय, गहरी साँसें और लगातार गतिशीलता शरीर में ऊर्जा का संचार करती हैं। यही कारण है कि यह जनजाति कठिन परिस्थितियों में भी स्वस्थ और प्रसन्न रहती है।
नई सोच, पुरानी जड़ें
बोत्सवाना अफ्रीका के सबसे खुशहाल देशों में से एक है। यह अपनी राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति के साथ-साथ पारंपरिक जीवन मूल्यों को भी संजोए हुए है। यहाँ गाय की पूजा की जाती है, नदियों को जीवन का प्रतीक माना जाता है, और हर त्योहार में नृत्य-संगीत का प्रमुख स्थान होता है।
भारत और बोत्सवाना के बीच यह समानता दोनों देशों के सांस्कृतिक पुल को और मजबूत करती है। राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा इस बात का संकेत है कि आधुनिक विकास और प्राचीन परंपरा एक साथ आगे बढ़ सकते हैं।
रेगिस्तान की गूंज में भारत की धड़कन
जब राष्ट्रपति मुर्मू कालाहारी के इस विशाल रेगिस्तान की धरती पर पहुँचीं, तो वहाँ की हवा में इतिहास की गंध और भविष्य की उम्मीद दोनों महसूस की जा सकती थीं। बोत्सवाना की रेत में दबी यह कहानी केवल अफ्रीका की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की कहानी है — कि कैसे संस्कृति, संगीत और आत्मा का संबंध सीमाओं से परे है।
भारत-बोत्सवाना की यह साझेदारी न केवल कूटनीतिक दृष्टि से, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
