पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद एक बार फिर दहशत के साये में है। मंगलवार शाम हुए फिदायीन हमले ने न केवल राजधानी बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। चश्मदीदों के अनुसार, आत्मघाती हमलावर ने जिला न्यायिक परिसर के पास स्थित पार्किंग एरिया में विस्फोटक से भरी गाड़ी उड़ा दी। धमाका इतना शक्तिशाली था कि आसपास की कई इमारतों की खिड़कियाँ टूट गईं और गाड़ियों में आग लग गई।
पुलिस के शुरुआती अनुमान के मुताबिक यह हमला किसी स्थानीय आतंकी संगठन का काम नहीं, बल्कि सीमा पार से संचालित नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है। वहीं इस हमले में अब तक कम से कम 8 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल होने की पुष्टि हुई है।
ख्वाजा आसिफ का ‘युद्ध चेतावनी’ जैसा बयान
हमले के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मीडिया के सामने आकर धमाकेदार बयान दिया। उन्होंने कहा “हम अब और सहन नहीं करेंगे। जो भी हमारे खिलाफ आतंक फैला रहा है, उसे उसके घर में घुसकर जवाब देंगे चाहे वह अफगानिस्तान की जमीन पर ही क्यों न हो।”
उनके इस बयान ने दक्षिण एशिया में तनाव का नया दौर शुरू कर दिया है। आसिफ ने दावा किया कि हमले में शामिल आतंकी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़े थे, जिनकी सुरक्षित पनाहगाहें अफगानिस्तान में हैं।
अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। काबुल से जारी बयान में कहा गया कि पाकिस्तान अपने अंदरूनी हालात से ध्यान हटाने के लिए अफगानिस्तान पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है।
अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान की धरती किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी, और पाकिस्तान को अपने “सुरक्षा तंत्र की विफलता” पर विचार करना चाहिए।
TTP की भूमिका और पुराना पैटर्न
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने आतंक के लिए अफगानिस्तान को जिम्मेदार ठहराया हो। पिछले कुछ वर्षों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) देश के भीतर कई बड़े हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि TTP और अफगान तालिबान के बीच वैचारिक और रणनीतिक रिश्ता पहले से मौजूद है।
हालांकि, इस बार TTP ने सीधे तौर पर जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन उसके प्रवक्ता ने सोशल मीडिया पर एक गूढ़ संदेश पोस्ट किया — “कर्ज़ बाकी था, चुका दिया।” यह संदेश पाकिस्तान की एजेंसियों के लिए एक संकेत माना जा रहा है।
हमले के बाद पाकिस्तान- अफगान सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के इलाकों में सेना ने गश्त तेज कर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने अपनी “सीमा-पार जवाबी कार्रवाई” के लिए विशेष बलों की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सेना मुख्यालय में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह चर्चा हुई कि अगर अफगानिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, तो पाकिस्तान “लक्षित हवाई हमले” कर सकता है। यह बयान पाकिस्तान की नीति में बड़ा बदलाव दर्शाता है, क्योंकि पहले वह केवल “राजनयिक दबाव” तक सीमित रहता था।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। वॉशिंगटन से जारी बयान में कहा गया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करना चाहिए, न कि एक-दूसरे को दोष देना चाहिए।
हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने वाकई “सीमा पार कार्रवाई” की, तो यह दक्षिण एशिया के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है क्योंकि अफगानिस्तान की जमीन पर पहले से ही कई उग्रवादी गुट सक्रिय हैं, जो ऐसी स्थिति में एकजुट होकर पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं।
ख्वाजा आसिफ का बयान अधिकतर राजनीतिक दबाव को देखते हुए दिया गया है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत पहले से बेहद खराब है, और सेना भी कई मोर्चों पर व्यस्त है। ऐसे में अफगानिस्तान में सीधी सैन्य कार्रवाई करना आसान नहीं होगा।
हालांकि पाकिस्तान ने पहले भी कुछ सीमित “हवाई हमले” किए हैं, लेकिन खुले तौर पर “घुसकर अटैक” की धमकी पहली बार दी गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर पाकिस्तान ने यह कदम उठाया, तो अफगान तालिबान की सीधी प्रतिक्रिया मिल सकती है — जिससे हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
फिलहाल इस्लामाबाद में सुरक्षा एजेंसियां हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। खुफिया सूत्रों का कहना है कि हमले से जुड़े कुछ सुराग मिले हैं जिनका सिरा सीमा पार तक जाता है।
आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान अपने शब्दों पर कितना अमल करता है — या फिर यह धमकी भी बाकी बयानों की तरह हवा में रह जाती है। लेकिन इतना तय है कि इस्लामाबाद धमाके ने दक्षिण एशिया में शांति की उम्मीदों को फिर से डगमगा दिया है।
