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बैंक में अकेला कांपते हाथ और मदद के लिए खोजती निगाहें; वीडियो ने किया तहलका

सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे बैंक में चेक भरते समय संघर्ष कर रहे हैं। वीडियो ने बैंककर्मियों की संवेदनशीलता और सिविक सेंस पर बहस छेड़ दी है।

सोशल मीडिया

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने लोगों का ध्यान बैंकिंग सिस्टम और बुजुर्गों की मुश्किलों की ओर खींचा है। वीडियो में एक बुजुर्ग को बैंक में फर्श पर बैठकर चेक भरते देखा जा सकता है। उनके कांपते हाथ, बार-बार कागजात और फोन निकालना, और मदद के लिए इधर-उधर देखना इस बात को स्पष्ट करता है कि वे इस काम में काफी संघर्ष कर रहे हैं। वीडियो देखने वाले यूजर्स ने इसे देखकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्थिति न केवल दुखद है, बल्कि समाज और बैंकिंग सिस्टम के लिए चिंता का विषय भी है।

बैंककर्मियों की संवेदनशीलता पर उठे सवाल

वीडियो में दिखाया गया है कि बुजुर्ग बार-बार मदद के लिए आसपास देखते हैं, लेकिन कोई भी कर्मचारी या ग्राहक उनकी मदद के लिए आगे नहीं आता। इस दृश्य ने बैंककर्मियों की कार्यशैली और संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ऐसे बुजुर्गों की मदद के लिए हर बैंक में एक विशेष कर्मचारी होना चाहिए, जो सिर्फ बुजुर्गों और असहाय लोगों की मदद करे। इससे न केवल बुजुर्गों को आसानी होगी, बल्कि बैंक में उनका समय और श्रम भी सुरक्षित रहेगा।

यूजर्स की प्रतिक्रियाएँ और सुझाव

वीडियो के ऑनलाइन शेयर होने के बाद यूजर्स ने बहस शुरू कर दी। कई लोगों ने कहा कि यह दृश्य अक्सर सरकारी और सार्वजनिक बैंकों में देखने को मिलता है, जहां बुजुर्ग और कम पढ़े-लिखे लोग बैंकिंग फॉर्म और चेक भरने में असमर्थ हो जाते हैं। कई यूजर्स ने सुझाव दिया कि बैंक को बुजुर्गों के लिए विशेष गाइड और असिस्टेंट की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसा होने पर बुजुर्ग अपनी बात आसानी से समझा पाएंगे और बैंकिंग प्रक्रिया उनके लिए तनावपूर्ण नहीं होगी।

बुजुर्गों की हिम्मत और समाज के लिए संदेश

वीडियो में दिखाई गई स्थिति यह भी सिखाती है कि बुजुर्गों की मेहनत और धैर्य सराहनीय है। कांपते हाथों और बार-बार असफल प्रयासों के बावजूद, वे चेक भरने की कोशिश करते रहते हैं। सोशल मीडिया में यूजर्स ने बुजुर्गों को सलाम किया और कहा कि यह हमें इंसानियत और धैर्य का असली मतलब सिखाता है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि बैंकिंग सिस्टम में बुजुर्गों और असहाय लोगों के लिए संवेदनशीलता और सुविधा बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने काम बिना परेशानी के कर सकें।

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