मिर्जापुर। समय के अनुसार कई पुरानी परंपराएं टूटी हैं तो कई नई बनी भी हैं। पुरानी परंपराएं लोगों का अपने हिसाब से चलने को बांधती थीं तो लोगों ने नई परंपराएं अपने ढाल लीं। फर्क सिर्फ इतना है पुरानी परंपराओं में विधि—विधान, आस्था और विश्वास था। नई परंपरा में ऐसी कोई रुकावट नहीं है। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के चलते देश में इन दिनों लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में कई धार्मिक, सामाजिक कार्य बाधित हो गए हैं। कई को शांदियां टालनी पड़ी हैं, तो कई चिताएं बिना अपनों के जलाई गई हैं। कई तेरहवीं की रस्म भी नहीं कराया जा सका। मिर्जापुर के बुढ़ादेयी निवासी उमाशंकर प्रजापति ने अपने पिता और समाज सेवी दीनानाथ प्रजापति की तेरहवीं पर ब्राह्मण भोज कराने की बजाय कोरोना के भय से भूखे-प्यासे जिंदगी गुजर बसर कर रहे गरीबों भोजन को पैकेट वितरित किए।
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पुलिस के सहयोग से लोगों में भोजन का पैकेट पूड़ी-सब्जी,लड्डू वितरीत किया गया। साथ में कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क और सेनेटाइजर भी लोगों में बांटे गए। नगर के बुढ़ादेयी में स्कूल खोलने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद को मल्टीस्टोरी स्कूल भवन निर्माण के लिए अपनी जमीन दान देने वाले स्व. दीनानाथ प्रजापति का 17 मार्च को निधन हो गया। तेरहवीं के दिन ब्राम्हण भोज की बात आई तो समाज सेवी नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके उनके पुत्र उमाशंकर प्रजापति ने इसे खारिज कर दिया।
ब्राम्हण भोज में जुटने वाली भीड़ से बचने के लिए गरीबों को भोजन कराने का फैसला लिया गया। गरीब बस्ती, पहाड़ी एरिया में स्थिति छातो, हिनौता, दुर्गाजी पहाड़ी पर मजदूर, मुसहर बस्ती, आसरा आवास, मानीकपुर दलित बस्ती में टेंपो में खाद्य सामग्री भरकर वितरित किया।
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