नई दिल्ली: सूर्य के मीन राशि में गोचर होते ही 14 मार्च से खरमास शुरू हो जाएगा। 14 मार्च से खरमास आरंभ होगा और अगले महीने 13 अप्रैल 2020 तक रहेगा। शास्त्रों में कहा गया है कि खरमास लगते ही सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। खरमास में किसी तरह का कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किया जाता है। 13 अप्रैल को जब सूर्य जब मीन से मेष राशि में प्रवेश करेगा फिर खरमास खत्म हो जाएगा और एक बार फिर से सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
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खरमास 14 मार्च से होंगे आरम्भ
खरमास आरम्भ होने के बाद विवाह और अन्य सभी मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है। सूर्य देव इस सृष्टि की आत्मा हैं और इस बसंत ऋतु की यात्रा के समय विष्णु और विश्कर्मा ये दो देव, जमदग्नि और विश्वामित्र ये दो ऋषि, काद्रवेय और कम्बलाश्वतर ये दो नाग सूर्य के ही रथ पर निवास करेंगे। सूर्यवर्चा और धृतराष्ट नामक दो गन्धर्व अपनी सुंदरता से मन का हरण कर लेने वाली तिलोत्तमा और रम्भा नाम की दो अप्सरायें भी सूर्य की इस यात्रा में मनोरंजन के लिए साथ चलेंगी।
इनके साथ ही ऋतजित और सत्यजित दो महाबलवान सारथी तथा ब्रह्मोपेत और यज्ञोपेत नामक दो राक्षस भी इनकी सेवा के लिए साथ रहेंगे। ये सब देव-दानव अपने अतिशय तेज से सूर्य को और तेजों वाला बनाते हैं। चारों वेद और ऋषिगण सूर्यदेव की स्तुति करते हैं। इस प्रक्रार अपने रथ पर चलते हुए सूर्य सातो द्वीपों और सातों समुद्रों समेत ब्रम्ह्माण्ड का भ्रमण करते हुए दिन-रात्रि का निर्माण करते हैं।
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खरमास में सूर्य आराधना और मंत्र
खरमास में सूर्य की आराधना अथवा जल का अर्घ्य देने से मानव की जन्मकुंडली के सभी सूर्यजनित दोष नष्ट हो जाते हैं। जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में सूर्य नीच राशिगत हो, बाल्या अथवा वृद्धा अवस्था में हों, या जिनका जन्म अमावस्या या संक्रांतिकाल में हुआ हो या फिर जिनकी जन्मकुंडलियों में अधिकतर ग्रह कमजोर, नीच, शत्रुक्षेत्री हो जो मारकेश और शनि की साढ़ेसाती से ग्रसित हों वे सभी जातक भगवान सूर्य का षडाक्षर मंत्र-ॐ नमः खखोल्काय। का जाप करें।
सूर्य में ही वह शक्ति है जिससे वे पूर्व जन्मों के सभी पापों का शमन कर सकते हैं। पापनाशक मंत्र ‘ॐ सूर्यदेव ! महाभाग ! त्र्योक्य तिमिरापह ! मम पूर्व कृतं पापं क्षम्यतां परमेश्वरः। को पढ़ते हुए प्रातःकाल लाल सूर्य के समय सूर्य नमस्कार करने और अर्घ्य देने से आयु, विद्या बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है ।
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