लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के महान योद्धा राजा सुहेल देव की 4.20 मीटर प्रतिमा का शिलान्यास किया। यह शिलान्यास उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किया। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी मौजूद रहे। पीएम ने बहराइच की चित्तौरा झील के विकास कार्यों का भी शिलान्यास किया।
History of India is not just what was written by those who enslaved this country and those with a slave mentality. India's history is that too which the common people of India have kept in the folk stories of India, that which has been carried forward by generations: PM Modi pic.twitter.com/4TrHROZhFc
— ANI (@ANI) February 16, 2021
आज बसंत पंचमी के दिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के महान योद्धा सुहलदेव की प्रतिमा के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। इस दौरन उन्होंने कहा महापुरुषों को राजनीति के नजरिये से देखना गलत होगा।
Prime Minister Narendra Modi lays the foundation stone of Maharaja Suheldev Memorial and development work of Chittaura Lake in Uttar Pradesh, via video conferencing.
CM Yogi Adityanath is also present at the event. pic.twitter.com/aK0YEpHVhV
— ANI (@ANI) February 16, 2021
बता दें कि बहराइच में सुहेलदेव की घोड़े पर सवार प्रतिमा की स्थापना होने के साथ, कैफेटेरिया, अतिथि गृह और पार्क के साथ ही बच्चों के खेलने की अन्य सुविधायें भी मौजूद होंगी। महाराजा सुहेलदेव के बारे में कहा जाता है कि 11वीं शताब्दी में महमूद गज़नवी के सेनापति सैयद सालार गाजी को मार गिराया था। महाराजा सुहेलदेव की पहचान मुस्लिम आक्रमणकारी को हराने की है।
बसंत पंचमी की दी बधाई
शिलान्यास के बाद अपने संबोधन में पीएम ने कहा पराक्रमी सुहेलदेव कि जन्मभूमि और ऋषि मुनियों कि तपोस्थली बहराइच की पुण्यभूमि को मैं नमन करता हूँ और आप सभी मो बसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा यह मेरा सौभाग्य है की मुझे बहराइच में देश के महान योद्धा सुहेलदेव की प्रतिमा के शिलन्यास का मौका मिला।
वहीं ये आधुनिक और भव्य स्मारक, ऐतिहासिक चित्तौरा झील का विकास, बहराइच पर महाराजा सुहेलदेव के आशीर्वाद को बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।’ पीएम का इतिहास वह नहीं है ,जो देश को गुलाम बनाने वाले और गुलामी की की मानसिकता के साथ लिखा गया है, बल्कि भारत का इतिहास देश की लोक कथाओं में रचा बसा, जिससे हमें हमारी आने वाली पीढ़ी को अवगत कराना है।
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