लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर के लिए जमीन खरीद की घोटाले के मामले ने दोबरा तूल पकड़ लिया है। घोटाले के आरोपों के बीच योगी सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आरोप लगाया है कि पहले मंदिर के चंदे में घोटाला हुआ और अब दलितों की जमीन को हड़प लिया गया है। उन्होंने जिला स्तर के अधिकारी से मामले की जांच कराए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। प्रियंका की मांग है कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।
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जमीन खरीद का पूरा मामला
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद औने-पौने दाम पर कई बड़े अधिकारियों ने जमीन खरीदी थी। इस सूची में अयोध्या में पूर्व कमिश्नर एमपी अग्रवाल, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, आईपीएस दीपक कुमार, रिटायर्ड आईएएस उमा धर द्विवेदी, पीपीएस अरविंद चौरसिया के नाम शामिल हैं। महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से गोसाईगंज से विधायक रहे इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी ने तीस लाख रुपए में 2593 वर्ग मीटर जमीन खरीदी थी। वहीं बरहेटा गांव में विधायक के बहनोई राजेश मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर 6320 वर्ग मीटर जमीन 47.40 लाख रुपए में खरीदी थी।
दिसंबर 2020 में अयोध्या के पूर्व कमिश्नर एमपी अग्रवाल के ससुर केपी अग्रवाल ने 31 लाख रुपए में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 2530 वर्ग मीटर जमीन बरेटा माझा गांव में खरीदी। वहीं उनके बहनोई आनंद वर्धन ने 15.50 लाख रुपए में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से ही 1260 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। सुप्रीम कोर्ट के फैसला से 2 माह पहले ही सितंबर 2019 में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने 30 लाख रुपए में 1480 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। इससे पहले अयोध्या के काजीपुर चितवन में दान के रुप में जुलाई 2018 में ऋषिकेश उपाध्याय ने 2530 वर्ग मीटर जमीन ली, जिसकी कीमत 1 करोड़ से ज्यादा बताई जाती है।
प्रियंका का कहना है कि राम मंदिर के आसपास जितनी भी जमीनें हैं, उसकी लूट हुई है। बीजेपी के नेता, पदाधिकारी और योगी सरकार के अधिकारी सब लूट में मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि, राम मर्यादा, नैतिकता के प्रतीक थे, सत्य के पथ पर चलने के लिए तैयार थे, अब उनके नाम पर भी आप भ्रष्टाचार हो रहा है। ये बहुत गंभीर बात है।
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