लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में कभी बसपा की तूती बोलती थी। 2007 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्ण बहुमत (206) की सरकार बनाई थी। वहीं 2022 के चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई है। कभी 40 प्रतिशत वोट पाने वाली पार्टी आज 13 प्रतिशत से भी कम वोटों तक सिमट गई है। यूपी चुनाव में मिली करारी हार के बाद मायावती हार का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की कोशिश कर रही हैं। शुक्रवार को जहां उन्होंने बसपा की हार के लिए सपा को दोषी बताया। वहीं शनिवार को उन्होंने मीडिया पर ही जातिवादी रवैया का आरोप लगा दिया। मायावती ने किसी भी टीवी डेबिट में पार्टी प्रवक्ता को शामिल न होने के निर्देश दिए हैं।
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मायावती ने ट्वीट कर मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया द्वारा अपने आकाओं के दिशा-निर्देशन में जो जातिवादी द्वेषपूर्ण और घृणित रवैया अपनाकर अम्बेडकरवादी बीएसपी मूवमेन्ट को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया है, वह किसी से भी छिपा नहीं है। इस हालत में पार्टी प्रवक्ताओं को भी नई जिम्मेदारी दी जाएगी इसलिए पार्टी के सभी प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया, धर्मवीर चौधरी, डॉ. एमएच खान, फैजान खान और सीमा कुशवाहा अब टीवी डिबेट आदि कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे।’
2. इसलिए पार्टी के सभी प्रवक्ता श्री सुधीन्द्र भदौरिया, श्री धर्मवीर चौधरी, डा. एम एच खान, श्री फैजान खान व श्रीमती सीमा कुशवाहा अब टीवी डिबेट आदि कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे।
— Mayawati (@Mayawati) March 12, 2022
2022 के चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट बलिया जिले की रसड़ा जीत पाई है। बसपा उम्मीदवार उमाशंकर सिंह ने 6583 वोटों से चुनाव जीता। 2012 के चुनाव में बसपा ने जहां 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के चुनाव में यह घटकर 19 रह गई। बसपा 2012 के बाद से लगातार कमजोर हो रही है। मायावती का सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रहना पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। बसपा समर्थक अब बीजेपी और सपा को वोट दे रहे हैं।
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