सीहोर/मध्य प्रदेश। कोरोना वायरस ने हर किसी की जिंदगी को अस्त—व्यस्त कर दिया है। लॉकडाउन की वजह से जो लोग जहां थे वहीं फंस गए हैं। इस बीच कई ऐसी कहानियां आ रही हैं, जिन्हें सुनकर रूह कांप जाती है। ऐसी ही एक मार्मिक कहानी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से सामने आई है। यहां एक युवक अपने दो बच्चों को घर छोड़कर पत्नी के साथ खुद का इलाज कराने घर से करीब 1500 किलोमीटर दूर बेंगलुरु गया था। लेकिन लॉकडाउन के वजह दोनों वहीं फंस गए। वहीं उसके दोनों बच्चे घर पर एक महीने से मां—बाप के वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
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जानकारी के मुताबिक इछावर जल संसाधन विभाग में कार्यरत बाबूलाल 19 मार्च को पत्नी जयमाला के साथ अपने एक ऑपरेशन के लिए बेंगलुरु गया था। पति-पत्नी को लगा था कि वह 3 से 4 दिन में वापस लौट आएंगे। इसलिए वह बच्चों को घर पर ही छोड़ गए थे। लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन हो गया और वो दोनों वहीं फंस गए। घर पर उसके दोनों बच्चे अजय (15) और लक्ष्य (13) अकेले हैं। लॉकडाउन की वजह से कोई कहीं आ जा नहीं सकता इसलिए को करीबी भी साथ देने वाला नहीं है। रात को दोनों मासूम अकेले सोते हैं। रात में अक्सर वह डर कर जग जाते हैं और मम्मी को याद कर रोने लगते हैं।
वैसे दोनों भाई रोज मम्मी—पापा से वीडियो कॉल से बात करते रहते हैं। एक समाजसेवी की रसोई से दोनों मासूमों को खाना मिल जाता था। लेकिन अब वह भी बंद हो गई। अब दोनों भाइयों के सामने पेट भरने का संकट आ गया है। क्षेत्र की एसडीएम प्रगति वर्मा को जब इसकी जानकारी हुई तो वह बच्चों से मिलने पहुंच गई। जहां इनको खाने के पैकेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।
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