Gujarat Election 2022: गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए एक समिति गठित करने के निर्णय की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बहुत अधिक आलोचना की है. शनिवार को उन्होंने कहा कि बीजेपी गुजरात विधानसभा चुनाव में वोट हासिल करने और अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए समान नागरिक संहिता का मुद्दा भी उठाया.
ज्ञात हो कि मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक के दौरान समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी. ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली यह कैबिनेट की आखिरी बैठक है, क्योंकि गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा अगले सप्ताह हो सकती है.
ओवैसी की बात
ओवैसी ने इस दौरान बोला कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि समान नागरिक संहिता लागू करना केंद्र का अधिकार है, न कि राज्यों का. उन्होंने बनासकांठा जिले के वडगाम में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए यह बात कही.
‘बाबासाहेब आंबेडकर को किया याद’
ओवैसी ने बोला कि, ‘क्या यह सच नहीं है कि बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि समान नागरिक संहिता स्वैच्छिक होनी चाहिए, अनिवार्य नहीं.’ उन्होंने इस बात का आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ अपने हिंदुत्व के एजेंडे के साथ आगे बढ़ाने का चाह रही है और वोट पाने के लिए चुनाव से पहले ऐसे मुद्दों को उठाने की उसकी हैबिट है.
इस तरह पूछे सवाल
AIMIM अध्यक्ष ने इस दौरान ये भी बोला कि एक विधि आयोग ने 2018 में कहा था कि यूसीसी न तो जरूरी है और न ही वांछनीय. उन्होंने सवाल किया कि, ‘एक मुसलमान के लिए शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, एक हिंदू के लिए यह हमेशा के लिए एक दूसरे के साथ जिंदगी बिताना है, एक ईसाई के लिए यह ‘मैं करता हूं’ है. यह भारत का बहुलवाद है जिसे अनुच्छेद 25, 26, 14, 19 और 20 के जरिए संभव बनाया गया है. क्या कोई समान नागरिक संहिता अधिनियमित करके अनुच्छेद 29 (जो अल्पसंख्यक समूहों के हितों की रक्षा करता है) के खिलाफ कानून बना सकता है?”
ओवैसी बोले कि “मैं प्रधानमंत्री मोदी से पूछना चाहता हूं कि हिंदू अविभाजित परिवार के तहत मुसलमानों और ईसाइयों को आयकर छूट के लाभ से बाहर क्यों रखा गया है? क्या यह समानता के अधिकार के खिलाफ नहीं है?”
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