महज…एक मुलाकात मगर चर्चा बेशुमार..संकेतों की बौछार.. बयानों की बयार…लेकिन हर बार की तरह इस बार भी खामोशी के साथ रूखसत हो जाना…आखिर कब तक रहेगा यह सिलसिला जारी…यह तो फिलहाल दादा ही बता पाएंगे.. जी हां..हर बार अपने हर एक मुलाकात से सत्ता के गलियारों में चर्चा के बाजार को गरम कर जाना भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली उर्फ दादा बखूबी जानते हैं। पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़.. फिर केंद्रीय गृृह मंत्री अमित शाह और अब माकपा के जाने माने नेता अशोक भट्टाचार्या से उनकी मुलाकात को लेकर बहस छिड़ चुकी है। इन मुलाकातों के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। मगर जब कोई दादा से जाकर इस बारे में कुछ पूछता है तो वो खामोशी के साथ रूखसत हो जाते हैं। हालात अब ऐसे बन चुके हैं कि लोग उनकी खामोशी के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। ये भी पढ़े :टीम इंडिया को मेलबर्न में मिली जीत को सौरव गांगुली ने बताया स्पेशल, तारीफ में कही ये बात
राजनीतिक एंगल
हर बार जब दादा किसी राजनीतिक हस्ती से मुखातिब होते हैं तो उनके राजनीति में दस्तक देने की चर्चा शुरू हो जाती है। वो भी ऐसे आलम जब अगले वर्ष बंगाल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनकी हर मुलाकातों पर सभी की निगाहें टकटकी लगाए रहती है। हालांकि इस बार जब माकपा के अशोक भट्टाचार्य से वे मुखातिब हुए तो भट्टाचार्य ने साफ कह दिया कि इस मुलाकात के सियासी मायने न निकाले जाए तो मुनासिब रहेगा। यह महज एक शिष्टाचार भेंट थी। इसे सियासी चश्मे से देखना गवारा न रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जब कभी दादा सिलिगुडी आते हैं तो हमसे मुखातिब हुए बिना रूखसत नहीं होते। इन मुलाकातों के पीछे का मुख्य ध्येय पारस्परिक स्नेह होता है न की सत्ता का लगाव।
वहीं उन्होंने सौरव गांगुली के राजनीति में आने को लेकर कहा कि वे एक अच्छे व्यक्ति हैं। देश व समाज में उनका एक अलग व्यक्तित्व है। लिहाजा, उनका राजनीति में आना ठीक नहीं रहेगा। बहरहाल, भट्टाचार्य के इन वक्तव्यों पर दादा कितने खरे उतर पाते हैं। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। बता दें कि इससे पहले जब सौरव गांगुली दिल्ली के अरूण जेटली स्टेडियम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संग मच साझा करते हुए दिखे थे, तब भी इस तरह की बहस छिड़ी थी, लेकिन उस वक्त उन्होंने यह कहकर साफ कर दिया कि वे यहां महज बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में शिरकत करने पहुंचे हैं। इसके इतर उनका कोई और कोई ध्येय नहीं है। ये भी पढ़े :पारिवारिक दुश्मनी भी नहीं कर पाई सौरव गांगुली-डोना को जुदा, दो बार की थी शादी