गुरुवार। अमेरिकी एजेंसी नासा के लिए गुरुवार की रात और शुक्रवार की सुबह बेहद अहम होने वाली है। इस समय (भारतीय समानुसार रात के 2.25 ) नासा का मार्स रोवर मंगल ग्रह की सतह पर उतरेगा। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है की ये दुनिया की अब तक की सबसे सटीक लैंडिंग होगी। इस मार्स रोवर के सामने कुछ चुनौतियां होंगी, जिसे पार पाना आसान नहीं होगा, फिर भी वैज्ञानिक इससे बहुत आशान्वित हैं।नासा से मिली जानकारी के मुताबिक मार्स रोवर की यह प्रक्रिया चंद्रयान उतरने की प्रक्रिया से कही ज्यादा जटिल है। वैज्ञानिकों का कहना कि जैसे ही मार्स रोवर मंगल के वायुमंडल में पहुंचेगा वह एक रेडियों संकेत भेजेगा।
इस संकेत को पृथ्वी तक आने में 20.4 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करना होगा। इसके बाद पर्सिवियरेंस को जजीरो क्रेटर को छूने में केवल 7 मिनट ही लगेंगे। यह सात मिनट नासा के वैज्ञानिकों के लिए बेहद अहम होंगे।
बता दें कि पर्सिवियरेंस रोवर मंगल ग्रह से सिर्फ 39 लाख किलोमीटर की दूरी है और यह 18 फरवरी को रोवर ग्रह की सतह पर लैंड करेगा।पर्सिवियरेंस यह पता लगाएगा की मंगल पर जीवन संभव है या नहीं। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है की मंगल पर कभी वैसा ही जीवन था जैसे आज पृथ्वी पर है अगर ये बात सही है तो पर्सिवियरेंस को जीवाश्म या जीवन के संकेत मिल सकेंगे।
पर्सवियरेंस MEDLI2 को वायुमंडल में प्रवेश के पांच घंटे पहले ऊर्जा लेकर काम शुरू कर देगा, जिससे सिस्टम को गर्म होने का पर्याप्त समय मिल सके।
इस दौरान MEDLI2 सेंसर्स से हर 45 मिनट में आंकड़े जमा किए जाएंगे और वायुमंडल में प्रवेश के 10 मिनट पहले ही मार्स 2020 यान लागतार MEDLI2 के आंकड़े जमा करना शुरू कर देगा।
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