दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है, जिससे आम लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है। आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और खांसी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसी बीच योगगुरु बाबा रामदेव का एक बयान चर्चा में आ गया है, जिसमें उन्होंने प्रदूषण से बचने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे एयर प्यूरिफायर को लेकर तीखी टिप्पणी की है।
एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि एयर प्यूरिफायर का चलन अमीरों के चोचलों से ज्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि जब देश विकास कर रहा है, तो कुछ न कुछ धूल-मिट्टी उड़ना स्वाभाविक है। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, तो कई लोग इसे प्रदूषण की गंभीरता को कम आंकने वाला बयान बता रहे हैं।
एयर प्यूरिफायर पर सवाल, ‘अमीरों के चोचले’ बताकर दिया विवादित बयान
बातचीत के दौरान जब एंकर ने बाबा रामदेव से पूछा कि इतने खतरनाक प्रदूषण के बीच लोग बाहर निकलकर व्यायाम कैसे कर सकते हैं, तो उन्होंने अपने अंदाज में जवाब दिया। रामदेव ने कहा कि कभी-कभी दिल्ली गैस चैंबर बन जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग डर जाएं या केवल महंगे साधनों पर निर्भर हो जाएं। उन्होंने कहा कि एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल हर किसी के लिए जरूरी नहीं है और यह सिर्फ अमीरों के शौक बन चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी को साधारण उपाय अपनाने चाहिए। उनके मुताबिक, प्रदूषण से बचने के लिए महंगे उपकरणों की बजाय जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव ज्यादा असरदार हो सकते हैं। रामदेव के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या का समाधान केवल व्यक्तिगत उपायों से संभव है या इसके लिए ठोस नीतिगत कदमों की जरूरत है।
पर्दा, मास्क और योग—प्रदूषण से बचाव के बताए देसी उपाय
बाबा रामदेव ने प्रदूषण से बचने के लिए कुछ घरेलू और योग आधारित उपाय भी बताए। उन्होंने कहा कि जब बाहर की हवा बेहद खराब हो, तो लोगों को अपने घरों में पर्दों का इस्तेमाल करना चाहिए। पर्दे धूल और प्रदूषक कणों को अंदर आने से कुछ हद तक रोक सकते हैं। उन्होंने सलाह दी कि 15-20 दिन में एक बार इन पर्दों को जरूर साफ किया जाए ताकि जमा हुई धूल हट सके।
इसके अलावा उन्होंने मास्क पहनने की भी सलाह दी, खासकर जब बाहर निकलना जरूरी हो। रामदेव ने कहा कि लोग घर के अंदर रहकर अनुलोम-विलोम, कपालभाति और अन्य प्राणायाम करें। उनके अनुसार, ये योग अभ्यास फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं और शरीर को प्रदूषण के दुष्प्रभावों से लड़ने में मदद करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि नियमित योग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है।
प्रदूषण पर सियासी और सामाजिक बहस तेज
दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण के चलते प्रशासन ने एक बार फिर GRAP-3 यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का तीसरा चरण लागू कर दिया है। इसके तहत कई सख्त पाबंदियां लगाई गई हैं। सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों को हाइब्रिड मोड में चलाने का आदेश भी जारी किया गया है ताकि बच्चों की सेहत पर असर कम पड़े।
ऐसे माहौल में बाबा रामदेव का बयान लोगों का ध्यान खींच रहा है। एक ओर सरकार और विशेषज्ञ प्रदूषण को गंभीर स्वास्थ्य संकट बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रामदेव जैसे योगगुरु इसे जीवनशैली और मानसिक मजबूती से जोड़कर देख रहे हैं। यह बहस अब सिर्फ प्रदूषण तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या विकास और स्वच्छ पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना संभव है। फिलहाल दिल्ली की जहरीली हवा और उस पर दिए जा रहे बयान दोनों ही लोगों के लिए चिंता और चर्चा का विषय बने हुए हैं।