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“मैं ईद में जाती हूं तो ही दिक्कत क्यों?” कोलकाता से ममता बनर्जी का बयान, दुर्गंगन प्रोजेक्ट ने बदली सियासी बहस की दिशा

कोलकाता में दुर्गंगन की आधारशिला रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ईद, सेक्युलरिज़्म और सभी धर्मों के सम्मान पर बड़ा बयान दिया। दुर्गंगन प्रोजेक्ट, यूनेस्को मान्यता और 1 लाख श्रद्धालुओं की क्षमता से जुड़ी पूरी खबर पढ़ें।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खुलकर कहा, “मैं ईद में जाती हूं तो ही कुछ लोगों को दिक्कत क्यों होती है?” ममता बनर्जी ने साफ शब्दों में कहा कि धर्म हर व्यक्ति की निजी आस्था का विषय है, लेकिन त्योहार समाज के होते हैं, जिन्हें मिल-जुलकर मनाया जाना चाहिए। उन्होंने खुद को सेक्युलर बताते हुए कहा कि वह सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करती हैं और किसी एक धर्म के पक्ष या विरोध में नहीं हैं। सीएम ममता ने यह भी कहा कि उन्हें अपने राज्य पश्चिम बंगाल और पूरे देश से गहरा प्रेम है और इसी भावना के साथ वह हर समुदाय के कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं। उनके इस बयान को जहां समर्थक सामाजिक सौहार्द का संदेश बता रहे हैं, वहीं राजनीतिक गलियारों में इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं।

कोलकाता में दुर्गंगन की आधारशिला, संस्कृति को समर्पित परियोजना

इस बयान के साथ-साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में बहुप्रतीक्षित दुर्गंगन परियोजना की आधारशिला भी रखी। उन्होंने मंच से घोषणा करते हुए कहा कि यह पूरा प्रोजेक्ट बंगाल की धरती और बंगाल के लोगों को समर्पित है। ममता ने बताया कि दुर्गंगन केवल एक धार्मिक स्थल नहीं होगा, बल्कि यह बंगाल की संस्कृति, परंपरा और कला का प्रतीक बनेगा। यहां 365 दिन मां दुर्गा को समर्पित गतिविधियां होंगी और रोज़ाना सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि परिसर में स्थानीय लोगों के लिए दुकानें होंगी, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। मुख्यमंत्री के अनुसार, यह परियोजना न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगी।

टेंडर फाइनल, निर्माण शुरू—1 लाख श्रद्धालुओं की होगी क्षमता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जानकारी दी कि दुर्गंगन परियोजना के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने इसे बेहद शुभ दिन बताते हुए कहा कि सरकार इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा करना चाहती है। ममता ने बताया कि पहले प्रस्तावित स्थल 12 एकड़ का था, लेकिन नई साइट इससे बड़ी है और यहां पर्याप्त कार पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। यह स्थान श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए अधिक सुविधाजनक होगा। दुर्गंगन परिसर में एक साथ करीब 1 लाख श्रद्धालुओं के ठहरने और आयोजन में शामिल होने की क्षमता होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रोजेक्ट बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन में मदद करेगा और कोलकाता को एक नई सांस्कृतिक पहचान देगा।

यूनेस्को मान्यता और राजनीति—बयान के मायने

ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार दुर्गंगन को लेकर यूनेस्को मान्यता को सुरक्षित रखने और उसे और अधिक उजागर करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा पहले ही यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल है और दुर्गंगन इस विरासत को स्थायी रूप देने का प्रयास है। वहीं, उनके ईद और सेक्युलरिज़्म वाले बयान को लेकर राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। समर्थकों का कहना है कि ममता बनर्जी का बयान भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब और धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाता है, जबकि विरोधी इसे तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने साफ संकेत दिया कि उनका रुख सभी धर्मों के सम्मान और सांस्कृतिक एकता पर आधारित है और वह इसी रास्ते पर आगे बढ़ती रहेंगी।

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