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पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए बेहद खास है ये 16 दिन, जल दान देने के बाद हर रोज करें ये काम

पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए इन दिनों में पूजा पाठ और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। जल दान देने के बाद पितरों का चालीसा पाठ करना चाहिए। नियमित रूप से 16 दिन तक पितर चालीसा का पाठ करना विशेष फलदाई रहता है।

Pitru Paksha

Pitru Paksha Upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष शुरू होने वाले हैं। भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। पितरों के लिए यह 16 दिन बहुत ही खास रहने वाले हैं। इस दौरान जिन लोगों पर पितृ दोष लगा है उन्हें पितरों को प्रसन्न करने के लिए अच्छा मौका मिल रहा है। आपको बता दे इस साल 29 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। 16 दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए इन दिनों में पूजा पाठ और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। जल दान देने के बाद पितरों का चालीसा पाठ करना चाहिए। नियमित रूप से 16 दिन तक पितर चालीसा का पाठ करना विशेष फलदाई रहता है।

पितर चालीसा का करें पाठ

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई

सब पूजे पित्तर भाई ।

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा,

जान से ज्यादा हमको प्यारा ।

गंगा ये मरुप्रदेश की,

पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ।

बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ,

इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ।

चौदस को जागरण करवाते,

अमावस को हम धोक लगाते ।

जात जडूला सभी मनाते,

नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ।

धन्य जन्म भूमि का वो फूल है,

जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है ।

श्री पित्तर जी भक्त हितकारी,

सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ।

निशिदिन ध्यान धरे जो कोई,

ता सम भक्त और नहीं कोई ।

तुम अनाथ के नाथ सहाई,

दीनन के हो तुम सदा सहाई ।

चारिक वेद प्रभु के साखी,

तुम भक्तन की लज्जा राखी ।

नाम तुम्हारो लेत जो कोई,

ता सम धन्य और नहीं कोई ।

जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत,

नवों सिद्धि चरणा में लोटत ।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी,

जो तुम पे जावे बलिहारी ।

जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे,

ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ।

सत्य भजन तुम्हारो जो गावे,

सो निश्चय चारों फल पावे ।

तुमहिं देव कुलदेव हमारे,

तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ।

सत्य आस मन में जो होई,

मनवांछित फल पावें सोई ।

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई,

शेष सहस्त्र मुख सके न गाई ।

मैं अतिदीन मलीन दुखारी,

करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ।

अब पितर जी दया दीन पर कीजै,

अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ।
दोहा

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम ।

श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ।

झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान ।

दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।।

जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम ।

पितृ चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान।।

(Disclaimer: यहां पर प्राप्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। News India इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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