Ravi Kishan: संसद के मानसून सत्र में एक अनोखा लेकिन बेहद अहम मुद्दा सामने आया, जब गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने लोकसभा में खाने-पीने की चीज़ों की गुणवत्ता और मापदंडों को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा – “कहीं छोटा समोसा मिलता है तो कहीं बड़ा, लेकिन कीमत दोनों की एक ही!” यह सीधा-सीधा उपभोक्ताओं के साथ धोखा है। रवि किशन ने सरकार से इस पर सख्त कानून बनाने की मांग की ताकि देशभर में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता और आकार में एकरूपता लाई जा सके।
‘पैसे पूरे, लेकिन क्वालिटी अधूरी’ – रवि किशन का तर्क
रवि किशन ने आगे कहा कि ये समस्या सिर्फ स्ट्रीट फूड तक सीमित नहीं है, बल्कि होटल, रेस्तरां और पैकेज्ड फूड तक फैली हुई है। ग्राहक जब एक समान मूल्य चुकाता है, तो उसे हर जगह एक जैसे गुणवत्ता और मात्रा वाली सेवा मिलनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना किसी मानकीकरण के व्यापारी अपनी मनमानी करते हैं, और उपभोक्ता भ्रम में रहते हैं। यह ना सिर्फ आर्थिक नुकसान है, बल्कि उपभोक्ता अधिकारों का हनन भी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि खाद्य सुरक्षा के लिहाज से यह देशव्यापी चिंता का विषय है।
‘नेशनल यूनिफॉर्म फूड पॉलिसी’ की मांग
रवि किशन ने सरकार से अपील की कि जल्द से जल्द ‘नेशनल यूनिफॉर्म फूड स्टैंडर्ड पॉलिसी’ तैयार की जाए, ताकि पूरे देश में फूड आइटम्स के आकार, वजन और कीमत में संतुलन रहे। उन्होंने सुझाव दिया कि एफएसएसएआई को इस काम में सक्रिय भूमिका दी जाए और जो विक्रेता तय मानकों का उल्लंघन करें, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए। रवि किशन की इस पहल को न सिर्फ सोशल मीडिया पर समर्थन मिल रहा है, बल्कि आम जनता भी इसे अपनी दिनचर्या से जुड़ा मुद्दा मान रही है।
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