बिहार की चुनावी सरगर्मी के बीच रविवार को बेगूसराय में एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपने पारंपरिक मंच भाषणों से हटकर सीधे जनता के बीच उतरने का फैसला किया। जनसभा समाप्त होते ही वे स्थानीय तालाब पर पहुँचे, जूते-चप्पल उतारे और मछुआरों के साथ पानी में उतर गए।
वहाँ मौजूद लोगों के लिए यह दृश्य हैरान करने वाला था — सफेद टी-शर्ट और पैंट में राहुल गांधी मछली पकड़ने की कोशिश करते दिखे। उन्होंने मछुआरा समुदाय के बुजुर्गों और युवाओं से बातचीत की, उनका दर्द सुना और उनकी रोज़मर्रा की चुनौतियों पर चर्चा की।
मछुआरों ने बताया कि सरकारी योजनाएँ केवल कागज़ों में सीमित हैं, तालाबों की सफाई और रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे उनकी आमदनी घट रही है। राहुल गांधी ने यह सब ध्यान से सुना और कहा कि “अगर हमारी सरकार बनी, तो हर मछुआरे के जाल में उम्मीद की मछली होगी।”
वादों की झोली — आर्थिक सहायता से लेकर तालाब पुनरुद्धार तक
राहुल गांधी ने इस मौके पर मछुआरा समुदाय के लिए कई वादे भी किए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और गठबंधन सरकार आने पर मछुआरों को मौसमी बेरोज़गारी के दौरान प्रतिमाह सहायता दी जाएगी। उन्होंने एक विशेष बीमा योजना शुरू करने की बात कही, जिससे दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में परिवारों को आर्थिक सहारा मिल सके।
इसके साथ ही उन्होंने तालाबों और नदियों के पुनरुद्धार का वादा किया। राहुल गांधी का कहना था कि “बिहार के गाँव-गाँव में पानी है, पर मछुआरों की थाली खाली है। अब तालाब सिर्फ पानी नहीं, रोजगार का स्रोत बनेंगे।”
उनके साथ विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी भी मौजूद थे, जिन्होंने कहा कि यह मछुआरा समाज के सम्मान की लड़ाई है और राहुल गांधी के साथ मिलकर इसे राजनीतिक ताकत में बदला जाएगा।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि मछुआरों को आधुनिक प्रशिक्षण और उपकरणों की सुविधा दी जाएगी ताकि उनकी आमदनी दोगुनी हो सके। साथ ही मछली पालन से जुड़ी छोटी-छोटी इकाइयों को लोन और बाजार तक पहुँच के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “गरीबों के विकास की लड़ाई सिर्फ भाषणों से नहीं, तालाब के पानी में उतरकर लड़नी होगी।”
सत्ताधारी दल पर निशाना- “युवाओं को मौका नहीं, सिर्फ वादे मिले”
तालाब किनारे बातचीत के बाद राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए केंद्र और राज्य की सत्ताधारी भाजपा-जदयू सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिहार के युवाओं को नौकरी और अवसर देने के बजाय सिर्फ जुमले दिए हैं।
उनका कहना था कि “बिहार का नौजवान मेहनती है, लेकिन उसे सम्मानजनक अवसर नहीं मिल पा रहे। आज भी राज्य के लाखों लोग रोज़गार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में पलायन कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षा व्यवस्था को सुधारना और ग्रामीण रोजगार बढ़ाना उनकी प्राथमिकता होगी।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि बिहार को तकनीकी शिक्षा का हब बनाया जाएगा। हर जिले में एक “स्किल यूनिवर्सिटी” स्थापित करने का प्रस्ताव है, जहाँ स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण और नौकरी दोनों मिल सके।
उन्होंने कहा कि “बदलाव का वक्त आ गया है। यह सिर्फ राजनीति नहीं, सामाजिक न्याय की लड़ाई है। मछुआरा, किसान, मज़दूर — सबको बराबर हिस्सेदारी मिलेगी।”
भीड़ का उत्साह और जनता से जुड़ने की नई रणनीति
बेगूसराय के इस कार्यक्रम ने राहुल गांधी की चुनावी शैली में नया आयाम जोड़ दिया है। अब तक वे अपनी “भारत जोड़ो यात्रा” और “भारत न्याय यात्रा” से जनता के बीच सीधा संवाद बनाने पर जोर दे रहे थे। लेकिन इस बार का तरीका और भी अलग था — मंच से उतरकर मिट्टी और पानी के बीच जनता से बात करना।
स्थानीय लोगों ने इसे “दिल को छू लेने वाला पल” बताया। कई युवाओं ने कहा कि नेता अगर ऐसे सीधे लोगों तक पहुँचे, तो राजनीति में विश्वास लौट सकता है। मछुआरा समुदाय की महिलाओं ने भी राहुल गांधी से अपनी समस्याएँ साझा कीं — खासकर बाजार में मछली बेचने की कठिनाइयों और शिक्षा की कमी पर।
कार्यक्रम के अंत में राहुल गांधी ने बच्चों के साथ बैठकर स्थानीय भोजन किया और कहा, “बदलाव तालाब से शुरू होता है, और अब हर गाँव में यह लहर फैलेगी।” उनके इस कदम से विपक्षी खेमे में हलचल मच गई है, जबकि समर्थक इसे “जनता से जुड़ने का असली तरीका” बता रहे हैं।
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