उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8 साल, 4 महीने और 10 दिन का कार्यकाल पूरा करते हुए अब तक के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने वाले नेता का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। 19 मार्च 2017 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले योगी अब अपने पूर्ववर्तियों—चरण सिंह, नारायण दत्त तिवारी और मुलायम सिंह यादव को पीछे छोड़ चुके हैं। यह उपलब्धि उन्हें यूपी की राजनीति में एक स्थायी और निर्णायक चेहरा बनाती है।
कड़े फैसले और सख़्त प्रशासन की छवि ने दिलाई पहचान
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी ने कई अहम बदलाव देखे। उनकी छवि एक सख़्त प्रशासक की रही है—चाहे वह माफिया राज पर कार्रवाई हो, या फिर महिला सुरक्षा को लेकर लिए गए बड़े फैसले। लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी जैसे शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की रफ्तार को तेज़ी से आगे बढ़ाया गया। धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को वैश्विक पहचान दिलाने में भी योगी सरकार की भूमिका अहम रही। इन प्रयासों ने उन्हें केवल एक मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक परिवर्तनशील नेता के रूप में स्थापित किया।
क्या अगला कदम राष्ट्रीय राजनीति की ओर?
योगी आदित्यनाथ का रिकॉर्ड सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक संस्कृति की नींव भी है। लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने न केवल प्रशासनिक स्थिरता दी, बल्कि बीजेपी को यूपी में मजबूत आधार भी दिया। अब यह चर्चा ज़ोर पकड़ रही है कि क्या योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय राजनीति की दिशा में कदम बढ़ाएंगे या फिर यूपी में विकास की गति को और भी तेज़ बनाएंगे। फिलहाल इतना तो तय है कि उनका यह रिकॉर्ड आने वाले समय में कई राजनेताओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
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