भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (सीपी राधाकृष्णन) ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत दर्ज की है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के उम्मीदवार, रिटायर्ड जस्टिस बुचिरेड्डी सुदर्शन रेड्डी (बी. सुदर्शन रेड्डी) को हराया। चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विपक्ष एकजुट होकर मजबूती से इस चुनाव में खड़ा रहा, और यह अपने आप में एक उपलब्धि है।
“कांग्रेस को नैतिक जीतें ढूंढने में महारत”, केशव मौर्य का कटाक्ष
कांग्रेस नेता की इस प्रतिक्रिया पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि कांग्रेस को अपनी हर हार में नैतिक जीत ढूंढने की खास कला आ चुकी है। मौर्य ने कटाक्ष करते हुए कहा, *”अब तक कांग्रेस कई नैतिक चुनाव जीत चुकी है। 2014 से लेकर अब तक इतनी नैतिक विजयें हुई हैं कि राजनीतिक और चुनावी विश्लेषक भी उनका रिकॉर्ड रखने से डरने लगे हैं।”*
मौर्य के इस बयान को भाजपा समर्थक वर्ग ने जमकर शेयर किया, जबकि विपक्षी खेमे में हलचल का माहौल बन गया है।
“हारी हुई लड़ाई को जीत में बदलने की कांग्रेस की रणनीति”, राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस हाल के वर्षों में वास्तविक चुनावी जीत की जगह नैतिक और सैद्धांतिक विजय को प्राथमिकता देने की रणनीति पर चल रही है। इससे उसका जनाधार बढ़ने की बजाय सीमित होता जा रहा है। उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार की स्पष्ट जीत के बावजूद विपक्षी दलों की ओर से ‘एकता’ को उपलब्धि बताना एक तरह से जनता को भ्रमित करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। केशव मौर्य के तंज को विपक्षी राजनीति की खोखली होती रणनीति के खिलाफ एक प्रतीकात्मक हमला माना जा रहा है।
