कर्नाटक की राजनीति में पिछले कुछ समय से चल रहे मुख्यमंत्री पद और नेतृत्व को लेकर सवालों के बीच मंगलवार को एक अहम मुलाकात हुई। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अपनी दूसरी नाश्ते की बैठक रखी, जिसे अब राजनीतिक हलकों में ‘पावर ब्रेकफास्ट’ के नाम से जाना जा रहा है। इस बार नाश्ते पर परोसा गया नाटी चिकन, इडली और ताजगी भरी कॉफी ने मुलाकात को खास बनाया। आम तौर पर यह केवल एक आम नाश्ता हो सकता था, लेकिन इस बार इसका महत्व कर्नाटक की राजनीति के लिए काफी बड़ा माना जा रहा है।
नेतृत्व और मुख्यमंत्री पद पर चर्चा
इस मुलाकात का मुख्य एजेंडा राज्य में नेतृत्व और मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही राजनीतिक खींचतान था। डीके शिवकुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “कांग्रेस में हम एक आवाज हैं, और पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। आज हमने राज्य के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।” सिद्धारमैया ने भी स्पष्ट किया कि पार्टी में शांति और विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ इस बैठक को दोनों नेताओं के बीच आपसी समझ और पार्टी की एकता बनाए रखने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।
सीएम का बयान, कुर्सी को लेकर संकेत’
मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अगर पार्टी की जरूरत पड़ी तो मैं अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार हूं।” यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल ऐसा कोई निर्णय नहीं है और उनका मुख्य ध्यान राज्य के विकास और पार्टी की एकता पर है। इस तरह का बयान दोनों नेताओं के बीच आपसी भरोसे और पार्टी के भीतर संतुलन बनाए रखने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
राज्य विकास और पार्टी की प्राथमिकताएं
दोनों नेताओं ने इस मुलाकात में राज्य के विकास कार्यों, योजनाओं और परियोजनाओं की समीक्षा भी की। उन्होंने आगामी विधानसभा सत्र और चुनावी रणनीति पर भी चर्चा की। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक कांग्रेस पार्टी के भीतर उठते सवालों को शांत करने और पार्टी में एकता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। पावर ब्रेकफास्ट ने यह संदेश भी दिया कि कर्नाटक की राजनीति में सहमति और संवाद अभी भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
